पृष्ठ:आलमगीर.djvu/१३५

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१२१ भाजगार की पनामाना चाहिए था। दुहानपुर होगा मा धरे- तमोभापा "ची, और उसे पाप पहों पर पहुँच पाना चाहिए।" ये पाते होती रही थी रिकासिद माने की सूचना मिली। मोग्गजेब ने दरन्त उसे लामो एक्षा मेधा पामिद बहुप्स या हुमा पा। उसने पौरनवीन पतियाँ दी। पीनो पेसिया कमसार की दी और उन पर पहुवमती वगै काम हो रहा पा । क्या वीनों पर बोधपरा सील-मुहर थी। उनमें एक सत बादशाहपा, दूसग मीरममा का और तीसरा ठसयागे पनि शेरानमाय का गा । वीमोगरीती सीस-मुरगत सारपानी से देखने के बाद उसने पूछा- "मानी कार स्मा में मोर निर पाकर धीमे सर से मा- "यर, अमीर मीरममा पती शाही प्रेम और पोरताना राम मा हेरियो के अनसीर तमाम अमीर दाग से परबन हो गए है और एका साप रेमे थे पार " पौरपणेब मेरोनोठोंबर परके प्राभरा मोर हि की। फिर मा- 'पौर मारणार सामव "हुनर, माचिराग है। सबक तोपरगार पाप, मपर वार में उनके रोख पार कम है। कुछ रेपुर पर मौरसर मे उसे पाने प्रसस्त रिया-पिर सरीवाको प्रधी वरण रेखकर मुस्करा दिपा। टरें मीरबाबा के सुपुर्द रोका-"प्राम पतन पर गौर दिया पापया" मीरबाग ने पद से बरतने समाह कर मा-'अब हजरत, भार उठिए और मीवर मदस में वशीक पक्षिए ।'