पृष्ठ:आलमगीर.djvu/१४५

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प्राहमगीर र मुरासमान नापकों ने अपने-अपने बरा में समय-समपरा इस मभर शिवामी के उदय से पूर्व प्रनेड मराठा पपनी ने अपने पारी मरिक्षम वा हावा करके अपनी पन-ऐसत सून थालीपी। इसी पर एक सपन पराना मौसम था। वो पूना प्राय में पारस नाम बारे में पापा । और हीरो गाने पयी करता था। सेवी रहे और अपने पार्मिक बीपन और उदा भाार के भरम पास-पास बहुत सिम पे। संयोग से ठग व में पाएमा बन मी मिस मवा, निमसे उगाने शासन और पोके अरे और निवामधारी एमके सेनानायक बन गए। मालोजी पर पुष वा मोठे मी ऐसे ही एक नायक। ये नियाम पाहदेवबीर मलिक प्रसार पख के दिनों में अपने सभी पोटी- सीसी नासोकर मौन हुए है। दीये महिलाम्बर मुलाने पर पहले मुगो से फिर बीबापुरबा मिहे । पाये मोने कि प्राप्त कर निशम र एमादे नाम मात्र लिए गदी पर बैठा बर-पूना और वार से शेर बहामार सारे प्रदेश या गुणा, भामदनगर, नममेर, ममत, नासिक प्रावि स्पानोपातपाय निमामयावी वाभबीन लिया। भोर इस मुसवान नमसेवीन वर्ष सायरी गम्ममार समाहा अंत में पुगोभी की सेना से ग्मे बुर में पातना पा और महाराष्ट्र रामपुर बहे गए । छन् १५१० सममम पानी फिर भीमापुर की मौडरी पर भाए कब मुगल सामार की विसी रमाएँ निधिवक की। इसलिए रे अपमे नए स्वामी के लिए भदा चौर मैदर के पठार पोर और फिर वहाँ के मद्रास के समय पर मोर पण जीवमे बहे भए । शिवानी शाहनी के दूसरे पुत्र थे। परन्तु शिगारी और