पृष्ठ:आलमगीर.djvu/१५

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इन दिनों दिम मानगर पर पुर्तगालियों की सेना एकापिपरप था, जिसके कारण मारत से घरत की बाहरी तक बस मार्ग प्रा से ही रासे है। मारत और मवावे ठप सानेगा से पश्चिमी देशो में जानेवासराय पाहामान स्पस-मार्ग से मुसवान, पिगिन और कपार की गरी पारस पोर पोप पापाया। उन दिनों प्रतिवर्ष विमित्र मास से सरए ई १४पार इस मार्ग से प्रारत पसे । इसी कारण बार या उन दिनो प्रस्ताव समय और मापारा केन्द्र मी न गया या और उसका मापारिक माल भी उतना ही पा लिवना सामरिक । इस प्रकार एस भौगोलिक, प्रार्षिक भोर सामरिक स्थिति के पाप पारधीला मारत और फारस माराम्बारपीच यम- एक प्रधान कारण म मा पा। सम् १ बमीर मन्तिम दिनों में न शाह प्रबास मे Mरिन पेय राम इसे बम विना बा । इसके बाद यहाँ के पनी वार प्रहीपर्शनों ने भरने स्वामी से विधावपात करे पर विशा गुपचाप गारबरों को सौप दिया था। परन्तु गिनियों ने ७ दिन पनपोर पुर से फिर कम्बे में कर लिया था। परम्त पत सामरिक मोर भाषिक महतो भरण नही, मानी प्रतिशत और महा विचार से भी घर र पारसको गया था कि पिता पिर मुयम बीन से~या पुषा मे पार तीम पेरेसा, पर लता मही मिली | परिसायको सम् १५ में मौरंग और पनीर पावसानो ऐनापविल में गला प्रथा का उठ १.६पर मुगल सेना थी। किसाथ ठोप- भामा भी था। पर शाही सेनाले गरे ही BAN विस्त पुर। दूसरी पार किया ने परियों और मी बरे पैमाने पर गई- औरंप और साशा मे सन् १९५१ में फिर किवा पेरा।