पृष्ठ:आलमगीर.djvu/१५३

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fra पाहमगीर के अधिन नहीं । रेनो उमपर स्तनत मोर परकामे दोखत उसमे मुवन फफर है। माना सास गुमा मी मनाप्रविस नगी। क्यों कर रायो माया पाया और हिमरवानपुरमन ।। बप इस सूरत में इस प्रची मुरयान सम्सनव की मांगो सापक सिपाप है। पा माप मेरी ही गम नीति पाए तस्व के तमाम मीर और अमीर को प्रापी बहादुरी का सबसमें इसमा गयरस और हमनपान होस यह लिलाम में प्राप रौनकायसी मुविरtमेरी बात तो या मरर कीथिए भिमर पापी तरफ से मुस्वाम्म तौर पर मुम पा पारा मिल बामगा कि बासुदा बस से प्राप दापणा हो पाएंगे तो मुझे लियत मौरे का गोराए-पिपत-चारमीनान सातिर पदव एमाही पणा लामे के लिए नाव फाएंगे, वो बस में इतने ही मे भैग्न प्रापश्री तरफदारी में निमत बा नामे थे प्रामारा और पार पाऊँगा। और समान मरेपमे दोस्त की से मम अपनी तमाम चमापरे दुग्म में कर देने से, गरबबिसी किस्म की मार से में राम बगा। विमा में पापी विमत में एक साल पपा मेजवा , और उम्मीद करता हूँ कि माप इसे भतार नगर मरेंगे वो कि मेरी दुखी का वास हा । हुनर माबमा और बामपी प्रमही पक। बस प्राप १६ बमहा मी चायन पीबिए । मौके को पानीमा सममिए और बाती से सूरत कि पर, तो मुझे मालूम रेल मार दोसव कारबीविर पव पोर सम्नारे में औरंगल मे पास अपने शाब में मिसरचार पदा, फिर उसमे अपने दूधमाई मीरपामा दुखाकर बस उस सपुरराम प्रमी खपम गुबगत गाना पनो और मीर व्य उस लमही करो और उसे भामाश को किया पौरन परत के सपने मेर। मारे मरान 5