पृष्ठ:आलमगीर.djvu/१५४

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पहली पाल मराराम लिए पोम तो सगर गर है। पाम्रो भाई, मी करकर दो-हमारीची कामयाबी पर हमारी उम्मीर १॥ विना र चौरंगये। मे मीरपापा पम लिए भोर अपना बीमतीबाट खबर उसकी कमर में सोया और गले में मोतियों की एमवी माहा उवार म उसके गले में गली। मोरपापा ने परम्प की पोल दिया। उसके बाने के बाद भोरमदेवाय मसता मा परेर टिमटिमाते तारो देशमा गा-फिर उसने प्रेग्न की अपने पो पेटे धन मुरम्मा समय दिया। उसे एक अस्पद गोपनीर रीवा रेडर मारें प्रमी स्पापी मोर हम करना होगा वह माय और मदरगार अमीर मीरणमा नाविक । उनसे दम निदान मागियो से मना कि निहाय बम प्रा पाम से एकपरूरी मसी पर मापसे मरिमरा सेना सलिए नयाँ मार मुझसे मिल पाय। या परीक्षा ने रिकुल पोशीदाग से देना और से मुमकिन हो उतनापरी भाना ! पोच सौ बार तुमारे इमराह नामे देगार । मेरे बारे पसार येरे प्रमी इसी इम पर पोसारमोनान रामायमरी और गोपियूष न बागी सत्तरे पुनरेवाटी से जयावा । शामाया मे मनगी और पत दिरा । पोरया मे फिर मरवारे पर तीनमा दी। इस पर उसने अपने पिसाठी मुमाहिर अमीर काम किया और कहा-"तुगरे मारूप में माय वितर मोग। अब पापभा गोलिमें अपने काम करने चाहिए । में लगे काम सौंफ्ना पाया। 'म चरम हाबिर । म थिए ।" भासतका मोर उठाग बचायाँ पाइर मपठाधिपाशी है,उसे भादो और सममानो कि पपया हमारी मदद करेगा तो एमबीयपुर में मार से नई उपना परम करने में मारे