पृष्ठ:आलमगीर.djvu/१६७

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भासमगीर नगरनिवाती सम्म और भुषणास पे | संपा पान में दिन, पारी भी पुष मत परिधान पारण पिए-पाधी सुपर समीर सेवन करते मिया पया महीलीभी। पारसियों की यमितीमादीची। अमीपार महीभामा। एक बहामारमय मपू से अमी गुष से पात्रियों और माल सवार पर भागा या । रमपीप फारत का माय मरयार पाप समोरापदि पव्वे को मि-मित्र प्रभारम्पपार करते थे। इस समे नमानी मनेक पहान कीबाब पर अनेक परपी, पारत निपापी मापारी पाहगत, मोठी, सुगन्ध, मोप, सर, बोडे, पख पद, प्राविपस्सनाए, पे। इन पदहे में एक बार वन प्रदेश, मारिपन भारि लेना पारसे में शनि मापारी बार पर पहुँचकर औरेस से बाब से पोरोपियन पात्री उपरे । एक मौद प्रामुप पुण्य भावित नीती वेग प्रसि पोर भी मोरीसी पदी सती दवा और इसिमको प्रकट कर पी की। उतार एक और पुरात पा, बोन मलिश और फना नबयुगर या। पोनों पुप पर उबर रेमठे हुए पावरगार से पार पाए । पनी बोरोपियन माम। रनोने रेखा-सोग शास-पास आये है। वास नगेसामा एमा। पौष पुस्प मे एक मोरपिकन प्रबादी सेशी पता था पूषा--"या का बाप पोसिए, के देखी कोग सून पों पर पापुमा भान्वीसी पहुन दिनों से सूरव में गया था और वादी तोपखाने प्रनाम सपेगा पा) ठग्ने प्राण पोर पान रेखा, और मा-भून न । मसिए, ये होगा पानमा " "पान, पासा खाए और नर में t बीमारी 1