पृष्ठ:आलमगीर.djvu/१६९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

पाहममीर सीखनी चाहिए." उस्मता देव पर उसका साथी पर से ₹ पड़ा। और फान्सीसी सपा ममागे दा और उठने दो पीडा पान बदिया बनामे च दुम अपने दोस्त धानदार ने दिया। और पर मामा लगाया दो उपमे पाथियों ने प्रथा-पूना-सुपारी प्रभेद पठाया। पुराने दोनों बीता लिए। यापित र धनदार में सप्तमें पोका बन देपा पोयेपियनोंचे उपनाने के लिए राम रिना । उसे जाते ही मुबारिमने चगा चौरमा मूभिव होकर भूमि पर गिर पड़ा। उसके पी ने तमबार बीवर मनपार से मा-"माय ने मेरे सापी प्रारो दिपा, शहर प्रेवबावरे पास प्रमी पह" सामा सुनहर बहुत लोग हो गए। भीर-मार में एक मुगल सिपाही मीणा। सपने मामतेरस पाना- 'किमये 14 प्रमी सीमा बावा है"इना पर उसने बराचा नमा पुगको मुह में बह दिया वितसे उसे दोग पापा । और उसने प्रारबोसी। इस पर पुढे मातीती मे सिर रिसारा-"परिस-पास पान र ऐल्याही दोवाट, मेपिन बार में ना कहो पाता।" ममी पर पदोही ही पापार विसारी पाए और ये पागम्तो मान गईरची दखायी मेनगे। बवासी परपर मेमा- "क्या तुमारे पास गई रामती बाराव t" "की मरी" " मा मोवीth "ची मी, म पो पेषगार की चाय में रितुवान पाए। हरी नीति पर होग पसरी रकमान्यूमत मते । उता सरदार में मा-"हमारे हाकिम परेव दुल्मी मी मनापन भीवर हिमुस्तान में मही पाना चाहिए । बारपार