औरगजेब की कठिनाइयों बीदर और पापादी दुर्म मीरापुर से प्रेक्षकेने पार विहान के लिए भाग मोर परवान परमे व पाच मार पोरवेश के, माठिनाइपों और परेशानियों पे। परनाएँ वेसे पट पीवी, संकट अमेट | ल सब सामना करते हुए अपने भए पर भागे दना प्राधान न था। उस मरिण प्रापभरपूर्वा और निरपूर्ण रिमतियों में बसता माता पा साधारण न थी। परतु उसने धीरज और तार से उन सा विपरीत परिस्थितियों सामना किया और इस समय अपनी सेना को गठित करने में उसने अपनी सारी किया दी। प्रमी उसने बीजापुर पर विजय प्राप्त की ही थी, और बायोप पापा कि उस बड़ी सैम्प से कैसे साम उठाया पार को मीरममा भामरे से से भागा। परन्तु शारी लिमार सन साप देने में प्रानानी रहे। बपि उसने मागरे में कोई समाचार प्रदिप में म मामे पाये इसी महीनी पारमिला और रोकथाम तगादी थी। पिर भोपा मारो गो विवादगार विन्द भर मोले विपी सेनाको पापच तापा। महाव तो अपनी सेना र प्रायरेश दीदिया पाप अमीर विरोधी हो । ऐसी पणा में उसने अपनी विदय इति और प्रस्टम बाहर माराममा राखिया और उसना सेना प्रपिस्यमबी। दन गरी परिस्थितियों प्रमाष बीमापुर दरबार पर मी पाया या। बापुर में इस समर सिपाही भाप मिल पाया। औरहार भयूव शिवारी भास से विश मनोरष होर बोट
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