पृष्ठ:आलमगीर.djvu/१८७

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१ मालमगीर भाया या-चतुर सिपाची मे प्रफ्ना परतर तामिया पापोरन बेरी रिपति से साम उठा र बीयापुर एरबार उन मलिशों का प्रा पालन ठीक-ठीक नहीं कर पापा को मीरबुमसा पीरमापुर परबार में हुई वी) निसामा मीरखुमक्षा कारोबाना मी एका एक पारण पा-मिसन पावनिक सहप ई नहीं बनवा पापा पोकपिए एकही यह भी कि पासबभोर वे पान इय कर, बो इच मी हाय नगे उसी को लेकर रस एकरी पेन पर अपना पूरा पान पन्द्रित करे और पाप पा भागो पापकर पुगत वस्त अपिशव परना । जो उसमे अब गाय पान परीनगामा और अपनी पारी चालो और सापनों भागरे अधिकत करने में लगा दिया। रघिय से रवाना होने से प्रपम उसने बीदर और पम्पापीरे किकों का निरीक्षण किया, पााँ मजबूत पाने कापम किए । मिसोर मरम्मत कारों की नमी पौर घना कोमपरिमत सी समय उस पर एक रात दुपा। उसकी गवाही बेगम रिचरस पानू मे पारगरा माम्मा प्रकार प्रसव रिया पोर प्रति पीग ही में उसका पावाव भी होगा। इस समय मोरणीति पर एक विपरिपार र पड़ा, पर रखने को मेव से पापछि प्र वामना किया | वा परम्त पोरडायद पहुँचा और शान्तिपूर्वक बेगम की प्रवेशि मिमा अस्वम्त सम्मान और मविपा से। उसमे उसे 'पविण उद-दौपनी' अर्थात् माधुनिक पवित्रामा फरिया, नाम दिया और औरणागार में उसे दफ्नाबा, बों बार में उस गमरमर प्रमाण बनाया गया, बो बपिना वारमात मगर हुमा । ममी उसे पहुच धमरमे पे और अपनी पारीमा मातम मनाने का ठसे उमप नही था। उसमे सबसे महसपूर्व और प्रापरमा वाम पर किया कि सेना मेव पर नर्मद्य पार परने तर पायें पर अपना परिभर कर पिया। इस प्रकार पियरे थाहो हाकिमों और राय समय पदम विपर हो गए।