पृष्ठ:आलमगीर.djvu/१८९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

प्रासमगीर गमूस उपहार मेष प्रेम और मैत्री भाव प्रकट पिप और निवेदन रुपया कि वो बन मेव नेत्र बारा किया गणप-बाग्री मेग पिा बाप । जप ही उसने एपपानी और मासा के पारियों को अस्सन्त पानी से मिन-मिन पारेरा मेने | सीख वो यादी रिमागरेरपर में अब समी तरार-उसी मारव का मापी उमार मान पुरे में और मामा एमी ने उसे एक मानावा देने मापन रेरणा पा। नए पैनिकमार गावार मीर हा पा, अनेक स्थानों पर गोला बारूद बनाने के लिए गन्धक, सीमा, योग सर कर एक मि गया पा । विगतपरिणों से घरूर, पोहे और सम्म प्रापरपर बी मैंगा सीबी और परमाधिप से इस पर रहा या पतीत रबार हमार उसी रापचाप । वपा मीग्डममा अतिषित पोपलाना भी था बिटमें प्रेम और प्राम्हीती तोपची मौकर थे। पवनानी नहीं-उसके पात पोग्ब और बियाची प्रपिपरी मी पापी थे। उसने दक्षिण की सूबेदारीम-परवेदी पोप कर्मचारियों का एक गुरपना लिया था। वेस औरतो एक प्रौसिपा सममलेन्स पर भरा करते और उसके लिए धन देने से तैपार । इस प्रकार बमावि देवार होकर मौरपद में प्रोरखापार से कुप लिया और इस परवा हुमा इमानपुर प्रा पहुंचा। मुतासिम-फकीर पुरानपुर पर बहुत साधारण बाबा। हाँ मलिशा य मनपर गारपनार पी। पर प्रौपायक बीच-बीच में प्रौरसावार से पाँप्रामपामा पा। पर उस एक प्राचीगान महापा