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पृष्ठ:आलमगीर.djvu/२२

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दिल्ली में उत्साह की लहर सन् ११५५ सावनी एमाई प्रेरितो की सब यादीमारियाँ कारयो । कुल फ्वरों को दि थी । प्रसार ग्राहगी पाहा से धमाम हिन्दु मन्दिरों में विशेष प्रारती से पो थी। उनके न और परिमाली समुष नार से नगरनिवासी उस दिन बहुव पस्द बग गए। सारे नगर में एक चास-पास मच गरेपी, तमाम मरिया में सामूहिक प्रार्पनाएं हो पी पी, सारा करिन मे मामा माया पापाचार सय हो गई पो, और तमाम पाम गस्ते रख-विरको मनियों से समाए गए थे। सो पर पिछली रात से ही विस रोगापा। सरपरी बामदाय भोर प्यारे दोधूप कर बम्दोजख र रोमे। अमीर उमयर साबरकरार हार समाविबारियो पर रिकी पार करते श्री हाथियों, पासपियो, भोर पेरोकी पारियों में मरी हुई पोखरदो पोशापाने मुसामा नागरिक किनेकी भोर सेमी सेवापे। किले में प्राय एका मारी दरबार होने वाला था, वित गपक होने के लिये बादणार वनामत मे राधाम बोदरम दिया था। इस पीपारण टी-सीर पवा सिमीको ना होग भारत में दवाव र रोपे, व सोग बहुत पर बारमे। गनी सोग गप उडाने मनाला मिस गप पारोनिक मर में मावा पारमा पा! माया पा, परत यात्रा पाय शिभापो मारी महिमरने लिएरमे वाले हैं। कोई गया पा, की मी पनारे प्रातम