पृष्ठ:आलमगीर.djvu/२३७

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पासमवीर समता थी। मौणवीसपदी पास मे गरे मोती को विध ना दिपा पा-पा-पाट पर दाग ने बोबोबडे मोर्चे बनाए थे, पौरिया बेटारबी, बड़ी-पोगरीबाई मोदकर तो दमाई पी-पावारी परवानी का मी अमन भाई । मागरेकी गह मा मौरंग के लिए ही पड़ी पी। परा मेयरमा दोष से पागल हो गया। बाथको या कुछ मी निमर मरमा प्रधा सेनापति समारपर और विपासी पुर महाविद्या भारमी उमके पास में पापा बोलता पर पाप किनारा कोर पीछे होग। मारी दो बो नदी पार कमाईही देनी पड़ी। अब उसे पबमानी की समी निम्ता पार पी थी। पानी की मेरी से मानबर और सनिक पार पा पाप-ताप न मरने, परा मठों पीर सिहयों में पीपे घोर तार-चोर मागा भागाकार रार में या गरे-ताशाब मिला-सिपाही भोर पानबर उन पर पाठे। मासिर र सम्म गर मान में प्रा पहुंचा, पहा से प्रापपरेमा समीत गया था। वहाँ उसने भोरखापरले सामने रोए रेता। राय मे प्रागरे और औरतबीच में बाग किनारे अपना सररमाला। पारा अपनी गरी सेनाले सम्हाद पाव से निसा चोगों में पक्षमा पारने मागापरस्त गाना रेकर बाक गया और पा जानने धेश प्रमेगापिसा है। दिन भर नाम तमाम 45 में मोर पाप । मा उता मपाल भूत पी। औरंगमेश प्रमी मस्थित नही था, सेना उपभी बहुत कम थी । सो पूरी। भूलेपासे मैना परेशान हो। वाय मे दिन मर अपने सैनिकी पूर में बने रस THI) ममा में घर परये बाहर निक और हा