पृष्ठ:आलमगीर.djvu/२४९

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२१४ प्रासमयीर था। मुराद ने अपनी मॅगों में उसकी गर्दन पनी और अपनी दास उस पीठ पर टॉपरी। फिर पर अपने मानक युगमसिंह प सिक्ट मुकाविसापरने बगा। बो उसके होरेकी रस्सियाँ बारमे की पेश पर गापा। पीर गमविद अपने राजपूत पोसाची साप मोरे से फूट पड़ा और अपनी तसवारों और मामो से प्रभारी की स्थियों पेपरमे अगा। हाथी पास होकर विपारने नगा और मुरारको भब बनी कब मी माया न दी । परम्नु उठने वस्ती समय Bारस करके एकवीर माय बो यमसिह पाठी को चीर र पार नित गा। पमसिंह तुरन्त बेरम होकर कापी के पैरों में पदक गपा, पिसे बोलताए हुए सभी ने इस गला । अपने पीर स्वामी में इस प्रकार मरते रेल राजपूत बोलहा उठे। बी-मरने चिन्ता छोड़ मरमे-भारतेनगे। दाग प्रमी पर्दा पहुंच भी म पारा बा कि इस पीर के मरमे की सूचना मिली । पर हेयो से मगर पी अोर सपा । पचपि पर मौसमको पका रोना पारवा पा पर मुराद की गिरफ्तारी मी परम माप की नही वममता पा। मुराद मामी गजपूतो से पिप मा पा और उसके बने भी प्राधा न थी। उसी ना हिप-मित्रो पुपरी पी। परम्पोनहार पौरपी था। इस समय समीक्षा, बोटीत बार वाया और उमलायका नापकपा और बोपरिमानारी दिलाता तो रिमुवान पाया ममता की हर और होता । परन्तु उसने अपनी सेना विकृत बराई से पतग रहा । सेना सरने के लिए उवापती होसी पी परन्तुपा उसे पानी दम-रिवाण साकिभी नहीं। प्रमी बफ नहीं माना। या गुरबार मिक्रीका दमाया देशवारा। प्रम मोदी ने पायो इस प्रकार मुराद पर पनप करने देखा, मारियाली पोड़ा गहराता मा पा लामने पाया और