पृष्ठ:आलमगीर.djvu/२५१

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भासमगीर रने के लिए भागे था। इसके बाप ही पहिनी मोरी विपिनी मैना मी दी। बममे प्रौरहवी हो रबार गार सही की। बा as में लड़ाई का चम्त माही जपा। इसी समय परापी सदर र पोरे पर सबार मा । परम्त हामी और से सारे उतरते ही फौब में राम मर गया। पहले से बगे-ये गदारों में सिमाना शुरु कर लिग किग माग गया । दारापी और धे नारेबार फोरमी पही विवाद हो गप्प 1 तारा सरर, पाँधी में से पावत माग है, पर उपर मागने लगा | राव मोग सिमपम दी से रवप्रम के लिए तेगार रहा दुमा पा, चिमा पिला कर पा से हुए माग पते कि मामो मागो, भोरम नई फोमलिए पापा। बारा सरकारको माग रेल रान हो गया | भर उसे अपनी पहार-सी भूत उमझ पड़ी और लजीसुद्धाह पर हर दुमा । उसने सर परेवा भोर पका-बजार परम्त सीमा प्रब पाँगा था | वो अपने सार ताप योग हुमा चौरस मार बापा पा । दाग बसा समझ गया । गोप में पागन होपर उस विभाटवाती गालियाँ रेम मगा। बारम्बार अमेगा-मब मैं कमीने पे और उसके मान-सन्चोकोबीवा मांगा। परनु योग, पाय गुण पर्व था। सेना में प्रा रे वोर पर उसके मर पाने की प्रास बुधवी भोर सागदी पोज में मगर मबीर यो ससाई शुरू हुए प्रमी सिई तीनही पटे हुए मे, इवने ही में इतने से प्रहा नामा माग फैला होगा। ऐसे हो रेस वनोपड़ी वारणाय बर मई । बामगो मूर्ततापूर्ण अपरिपत रणनीति का परिणाम पा । पारी मोर पापा और मुरे सिराही पौर राधी, भोर पो । र मापी पी । बाप के मित्रों, सेनानायकों में