पृष्ठ:आलमगीर.djvu/२५२

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पारामसावन एवम ऐसे पे बोका । पोनी सरदार मारे बारे। गाव माय मग पुरये। मा पर-पप में उतन्दीरा पाने में मापा। सिए उसमे रखे हुए शुभचिन्तक सापाये की सम्मति से प्ररिहण उपस्पन प्रेग र पलायनमा । उखान माग्प का देर-फेर पोहयोअपनी विपक्ष मी माया मही दी थी। उसी पारी सेना माग पुश्री थी। श्रीनाई से सिर पर सौभाश्मी उस गए। परन्तु वन-मरण प्रेमाची जगा पा। उसने सातो मर पाने निर्णय विमापा घर उसी पापा बना पर निमा पी, विवो उसे पम पम प्रतीचा से यो पी।पूर तक प्रा शाही सेना की गतिविधि ऐसा पार पायें भोर तीर बरत रेमे-गोरिलो उनमनाती पास गार ही पी, पण उतको इन सबका मी परषा मधी। एमरक से मेना में परिवर्धन सिंह को। वने पपमर ही में देखा किरायासपी सूना है और पपमर ही रेता रामु सेना में मार मच गई, सासरी उवये पसमा अपमे वाम पार्य में गदै उ ए बादल उठता देखा। पाये को ससे मस पाठसे गिरवार भी की सेना मागही पर रखा । पराप्रपने पारी भार गणमोको माम् रेषापामा और ग्राम से उसकी मौत पये पर रही थी। ग्गने दोनों प्रापशी मोर गर अपनी सेना सधारमा प्रारम्म बिरले प्रामपावर मी तारी