पृष्ठ:आलमगीर.djvu/२५३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

११८ प्रासमयीर परके 'मला दो प्रकार नार र उठे। तर पपभर पारदी उसमे जीएमाओं को भेना के मागे मागे पावे रेला, पर मे चिमा उठा। नसीराबाहाके पापोन बोवीस हजार सेना पी उसमें से एक समय मापार पर सेना इस विधातपात में उस साप रेती। अपमे पोष चार गार सापियो मेकर उसने पौरपब मार मुबारावी। चौरस ने तुरन्त विषय के नकारे परका परमे की माशदी। दिशाएँ उठी और पौरखनेर भागती हुई सेना नौट पड़ी मुराद मी भागे बढ़ कर चौरज से भा मिला। मुपारपादी मलीबग गई और ऐना बपना नाद कर उठी। ससीमारनामे प्रदर से भागे बदकर मोरहाब सेमा- "जरत सापक फवा गुबारक औरसर मे मुसपर मुराद की धार देशा पोरा-बार प्राहा खमिचौर दिलेरीपबाइबोबारी में हमेशा अपम देगा।" इसके बाद उतने खलीबारौ मुराद के सामने पेश करते हुए भा-"या समोर तम्तयाझादार सादिम सिवानी मुगलिया स्वना में मिलना मामुमकिन है। माना हरत की फैमाथिों से भी पर पूरे तौर पर परिमत और गली वानवा अपने पारणारी सिदमय से की है।" मुरार इन सब बातों को मुनर हो गया, फिर उक्ने सीमाना की और सतीचमार ने मुराद की तारीफों के पुष । परम् पौरंग मे बाप ही में मात बार परमा-परख, अब सबसे पहरी मारना , पादप गिरफ्नागे चौर उही बापमी पर ममा परमा उसमे तुरन्त अपनी सेना को वर्षमय किया। समाईम दो दुधपी और पर अपनी शिवपिनी (1) पेनाप्रे पोरे-गोरे भागे बदाता मा पाप मोर्मो का या नगरपामार उसने प्रायोकियोमें पा मोर सेर लिए