पृष्ठ:आलमगीर.djvu/२९९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

U भासमगीर समीप उमप शिवाय हिन्दुस्तान सबसे बड़ा शिवाय, प्रापको दिमा चापगा।" इस प्रपर मोमवा को संवा करके उसमे अपने बेटे मुहम्मद सुखवान से प्रा-"य, मानो कि मेरी प्रौहार में तुम सबसे पोहो और अपमे ही श्रम पर बाते हो। अग्रक, तुमने बोको काम किए है, मगर सप पूछो वो ममी कुष नहीं हुआ है। बता मुरा तान गुमश-बो हमारा सबसे बम कुश्मन , शिकस्त रेमन पका सामो, हमारे सारे ही काम अधुरे ।।" इवना पर पोरन ने मीरखुमबा और मुहम्मद मुमतान सिपाव दे अनेकहानी पारे मैट पिए भोर विदा किया। परम्त उसने महम्मद मुलतानी बेगम और मौतुमला मेरे मुहम्मद अमीन को अपने पास रोक लिया । वरुने मुहम्मद मुसवान से मा- 'बेगम गोजकुणके बादणार की देरी है, ऐसी पेशानदान की लातून प्रेम के मैदान में बामा मुनासिब नही है।" मुहम्मद अमीन की बात परमा-"उती उम्र बहुत कम है और हमें उसे रेशम बहुत मामत होती है। में कुछ दिन इसे अपनी मांगों सामने रसंगा और उसकी वालीम घमा बस्न पाया ।" पर वास्तव में उन दोनों की बान कि पी। विपरप मौरनुमक्षा पौर मुहम्मद मनवान किसी प्रकार प्र पसरप न कर सके। मा सब इन्तब्यम करो और हर भापा-पीछा तोष औरसव भागरेपोया ६८. शुजा की शाम रपक्षेत्र से माग र गुबा ने गंगा पार पापर इतारागार में दम सिवा । स बात से पर या पा लिया निबहे माम के रेसबा बाग पो उसकी लूट-सोर शिकार बने -