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पृष्ठ:आलमगीर.djvu/३१७

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भावमगौर इस माग्यहीन परपुत्र इव तीन पणा में देखने लिए घमा- बगह मीरपमाहोबावी पी। लोय सासरे नगरे माग्य पर हाप मसो मोर गेते । चागे मोर से लोगों के रोने विधाने की भावार पापी थी। बमा-बगह खोग गइ पीवन को गासिरे से 1 । ये उपेपित होरपरा चीसोपे। भीषन माँ पठान, पिसे अब मसिक प्रतिवार पा एक मार्ग का मनता मिता बा-पो पर सवार दक्निी के साप पा-पिता मा माम मौरंग बने स्विकार रस्सा था। समार्य भागे पदठी गई। आप ही भीड पदणे गई। जोयोप रोना-सिमाना पदा गा| एक और ने दूर से देगा-भाग उमा दाग सामने भागा। बारा वा-या बाजार में निरहवा था, पनीरी पर भनियों पुरावा पा-पर फीर भी उससे बहुव कुछ पता था। वह प्रापा कीर था । पानी पानता या हिमापारा हरिन प्रसिभर हो गा। उसने पुना किरा सापा दी है। उसमे दोनों साप पतार र विमा रमा-"राग पाता, भाममा रस और कोका नहीं मिलेमा पारवार" आप मे मना । बाल उठाकर उसने पीर को देखा, बिसी भनी बाल और हाथ उसी मोर उठे हुए थे। उसने अपनी कमर में सिपय मापाप-विससे उसका प्रयापा, मगर र जौर पर दिया। पराको वासारता और बेबसी रेसहोम बोर बोर से पराग दाग कार गे ठे। तो मे दुरापन बोध पाप से मारना प्रारम्भ कर दिपा, पारेल बीवन को प्राप देकर माग सामा और इपिपारद सिपाहियोगी पसरी मे मीर होरर पिमी पोमागे बदामा