पृष्ठ:आलमगीर.djvu/३१८

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करल उही प्रमाणे दिल निकालने में मए पारणाम रोपाने द्रास में दरबार पुराना । शाइस्ता मा, मरम्मद अमीन नों, यहादुर और दानिशमन्द मादियुमे हुए ममीर और बबीर पामिर । दरबार में गरमाग पसा हो रहा था। प्रनेड हाफिर, उस्मा मोर मौसमी मी साबिर ग्रहबादी रोशनमारा मरोने मेठी दी। उसने अपनी बारी भाषा में सर यमो में मा-- "स्लाम और पवनव की मता और पापी लिए हम मुनासिब समझती अधिर दासहर दिदा पप" सानिरामदों मेमा-"पा ठोकन रोया, परमे पिनास बहरत मी, मुमकिन इससे पार में पत्रकारोबार । उरिधान गाझिपर मिले में देर सिमा पाप !" पारमाही में गुस्सा रहे 40-" सिए एक मफिर और गुमपा करमे पवाय उठाएबाप! बस हमारी गग कि उसे कोरम हा बाप" सीमार और पारसनोबो प्रपम ही से ठठोबार साए थे, दोनों में अपर मिशाई भौरा-", सिर इस पर रश्रम कर मेमो ईरान से मागा हिमुस्तान मे मा गमावा और मुशामा बदौसात पारेको पहुँगा का करका-" मग चि बिया कोडना मिल मुनासिब मही परती भोर समामती इसी में है। औरन गईन भयेाए । मुझे उसके ससाह देने में बप मी वभामुख मही होता यति पान और प्रपिर है, और