पृष्ठ:आलमगीर.djvu/३४२

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विम सप मुस्लिम यक्षियों दलित परमा पनि का सबसे पहाबा पवि यापन बुधवा। उसके पास प्रस्ती धार र सैनिकाने लिए बार यतेबपि मोरयमेव उपर में बसे ममरों में खाया, घिर मी या शिबीर से देखार नशा उसमे बिमारीको पररने लिए म भी सर न कोही पी। परम्त उनका कप भी बन रक्षा और विधानी अपने ठोरम में समत पवा पसा गा ! अन्त में शिवानी में मृत्यु और उसके गार उस योग्य पुष सम्मुर्य रायपना दिध गरा। यम्मुधी मे पिता गुणन । पासापरार, दुरारी, मूर्स और प्रमाण मलिया। बपि साइयों को पास शिपाधी मूलुभा में हुए पे, नरेभरव सम्ममी गदी पर बेठठे ही सहारा में ना पा, पर उसके दुर्भाग्य से उठी एमब भारत का पुत्र असर उतरारण प्रा या रिसके बारस वापसाद चौखामेन एकदम बोका उठा और एक ही मारी सेना क्षेत्र शिक्षक पसा पाया। यहाँ भाकर उसमे गोजपा और बीमापुर के यो कोवाम्नास र दिसा । इस समय मानपुरा की गद्दी पर भास इन, एक कममा और प्रासाठी प्रादमी पाबो म कमी परमार म्या पा, ममतकुरा बि से पार पाने का सास रखा था। उतरलू मन्त्री मारमा भौर भाउमा गम्प के उर्वेसर्वा । स्वान अमुल न अपने बनानताने में पड़ा हुमा अनगिनत रोगियों और मषियों के साप बीवन विवादा था। उन दिनों दिक्पद साधार और बिहार मगमन गवा पा । पापीत पार पाएँ भी बोर कपार जयनिक चौक में रत परती थी। अनगिनव एयरधानों में प्रतिदिन वापसी की-बड़ी पतासे बही खासी रोपी वीरत प्रभार इस पुरधारी शेने श्रीन मोह सोभी प्रतिभार ऐश प्राराम में सर्पोबादी दी। पहिय में प्राकर प्रोसने गावार बहालों और क्या में