पृष्ठ:आलमगीर.djvu/३४३

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१२१ पालमगीर नया या । उसे रसीसी कठिनारप्रसामना करना पसभा मारी और सपा से उतरकर पहले गया। चारों ओर भागों र सय गए। सम्व में गोशाला को उसने स्वर दिया। गोक्ष बीतने पर से उसको सोने- पीना, पो और पहास सामान के अतिरिक माह का सप नभ भी मिले। बीते ए पम्म श्री मामानी हो करोग सचाइस हाल पी। बीनापुर राम मी उसने विवपरियाबादया मे बीमपुर सम्मान को सिवारिस भोर कसा सामाना पॅगन भी नियम ! घूमनाम ताप उसने दस्ते रयों पर बैठ पर होवे बरी की मोहरे गवे दुर बोधपुर में प्रवेश रिण भोर सम्नी दिवस की पना मगहर पोप 'मनि मेरान' पर शिपापी मरमे पर मपठा राम में बात मगो मझर ठर बरे हुए थे। शिवाची या सरप बहुत ही अयोग्य पालय रिपरिमों में गिरामी बाटेनाराबाराम-निस उम रत वर्ष की पी, ािसन पर बैठा दिया। परन्तु इससे मराठे रा में भारत में कर पा मई और सेनापतियों ने यम्मुनी समान्य लिया। पम्मनी मे उसके खिोती शास्त्रारे प्रकार से परपरी दो गाणारा गुस्सा और १८ गया। बाबारामत गाँव में वारणा मनाचे मावोबर या पाप गहरे पास दो बार पुनमगार दे। उपर पम्मी दिन-पर-दिन पालती और पेपरवाहोवा वा पा। उसमे सब पल्यापरने मपी समय पर कोरिया मा, सामावादकोविय प्रामण पा! बस प्रोजन में पारा चोर छत पर चढ़ाई की, हम KA का हानी पड़ी। पर यमुरापार और परिपारितासिदे भरपतन चारमी उसे चोर पर चामि। हमे उस पठन र गण | वारणार