पृष्ठ:आलमगीर.djvu/४०

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अमीर मीरजमक्षा बादशाह ने उसे बहुत प्रादरमान से विमो सुझापा और गले में सवा हुक्म पारी कर दिए बिपि हार मा गुपये, उसी पूर्व प्राव भगत की बाप। रिली पहुंचने पर मी उनकी पूरी प्राव मगत हुई-पर दाग की पास पूरी न हुई। उसने बादशाह को प्राते दरी प्रभावित पर सिया पौर पदणारा मन पार भी बदा से हरा दिया। ६ पली-महद बागार सबसे बड़ा पेरा दागशिकोह था। इस उमप दारा मायु ४२ वर्ग की थी। उसे शादी समाने से एक लाख सपा मासिक पवन मिलता था। इसके सिवा उसे २ कर पपा वार्षिक पाप की नि बागीर भी की। उनका माम पूषापा और उसमें Bा दासियों, बोदिया, मुगसानिया, मनियों मरी पड़ी थी। उस माह में पहबादशाहपी मांदि ठाठ-बाट से रहता था। देसने में यह पुपा समानदार, मुन्दर और सीसा मान पा। पादिल पसाफ, सपा, मृतुमापा और उदार पा। परन्तु उसमें एक दोष पर पापा पमंदी पोर गिरो पारायही सममक्षा पास उसे किसी को हमारी प्रापरपा नही। हलार पारों और मन्त्रियों का दल से देवता पा, पापा उनी सी या परता था। विरार भी र बैठना पारा हम परप उसो निरस्प और प्रविरिपाठी पक मी उसे सम्मावि देवे मय भावे । पिप, पापादमी इतनी सीमा पानिमाल से परिमत ना मी सापारए गत पो। दानित पाई पाठ गुन ति सवा पा! उसे अपने मात्र परामप,