पृष्ठ:आलमगीर.djvu/४२

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बसी-ग्राम २२ उसमें से एक पिगारगर सिपाही नबर प्रता दो ग्रामाश उसे देवर व दिवा और मर मिराही पपयार माग धावा । सामाम्म में उदगम्म सम्मे गुम-पिता विश और खि पुरुष भी पेको छानछानहिन्दी-सारे ऐसे विशेरे परित्र रेलकर उससे करे गवे में। परस्त रखना होने पर भी प्रदा विहान् पा) भरणी, कारती तो उसने उधम शिया पईची पी, हिन्दी, संत मीरा अपना एणित पा। उसने सात अनेक मम्यो । प्रमुगाद गया था। बाबा विधानामाप पर्म-सम्मायो पास मोरिस रवा पा । परन्तु मा लग पा पानते थे किमान हम मुसलमान । वमका कोई दीन दी न पा । पर पापा ममायो पोर ईसाई पादरियों से पाखाप पा रवा भोर इसमें उसे बड़ा मा यावापा। महफिरतियोगपत कोरीन पा । न उसने बाद से माहो रे गये । पर माया उनकी बातें करता, उनो देश समान पून परता, भोर में दिल पर व मादा था। दरबार पीन पादप प्रति पेमिनमें एक प्राम्होणे भार दमाग पर्वगीन था, इनमे गए पहल गरमा ग पोरसा सो माप घराणवा-मोर पारिश दावे को पार कर मार पएक दुचाता में देवा । दाय में एसपमा मो या शिवरत पर गुस्सा या पोर मोगमा बन नोर मोर धपाप भय र पेटवाया। महासत और मान सेनापति पाए प्रविरित पपिपता मकि पा शे मुसलमान त गया था। उसके एक केमरी पारा ए मोर मारना। परदाय मेकप में अंधा सर दुमदे दिया कि महापाचे