पृष्ठ:आलमगीर.djvu/५३

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१४ भासमगीर असमय मानम् में शराब, महीत और फूलों की मा म्यवीर सेवा पा । साक, कहा-क्षित बरम के निवासी गत-दिन देश करोडो दीन-तीन पकी कमाई से निष्ठापूर्वक उगाए पर में पानी भीरा पाते रहते पे | पर प्रामपात न थी- सासरी समालो गवामी की पबनौति से ऐसी पी। उस समर साम्पवाद पौर समाच्या प्रेम्ति वा सन्म नहीं हुपा पा। मुगए साम्राम में ही नह), तारे भूपराम में खेम्बाचारिता की पूती बोत बी पी। फिर मी मुगल एम विविध पात्रों के मेन्द्र बने हुए पे शाबादे और शादमादियों मा बिसात और ऐश्वर्य में यने पर भी सुनी न थे। प्रेम पिपासु बेगमाव प्रेमाचा गुणामों प्रौ समासों के प्रपन और कर के भरण पोलो लदो चोर का उठा पाये । पी-कमी उमेबान मे मी एम पोना परवा पा | काही हरम में नम मिलाकर मिप्र-मिन बाधि और नालो। लगभग दोसार निर्गा पी। बिनमें प्रस्पेस म्प पूपाप्रपा थे। फिलीम तो बाणानी मिम्न-भिन्न आएं करना या पौर भिीमबेगो, शाहमारियों और बादशाह प्राणनामों। लिदमत बमा साना दाता पा। इनमें में प्रस्पेको सापकम भेगम महल में मिले पे बिन निगगनी बनाने पारेदार र प इनके सिवा इनमें से प्रत्येक पपा दस मा बागादियों मी मिख थी। इन सिपको अपने प्रश्मे परे अनुसार सो से लेकर पार मो पे ना मामिक तम मिलता था तपा निवाधियों पचास धे शेकर दा सो रुपये हरनके मिश पारणेगाने पाक्षिणे चनियाँ मी मास में पी। हमें देवी सनसा वो मिसवी ही मी पर चारबादो, पारमारिगे, ममो और पापयामा वि मावि मनायानों के अवसर पर सा पामर में भी मिला करती थी। माधने पानिपोषन की मदमाती, उसावी किमही की मावि मर में पर-से उपर अपनी बनाना पारपालों के तापमा परी मौ