पृष्ठ:आलमगीर.djvu/५८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

रम पर उसे पटने पराविम बनवा कर भिवा दिया था। यहाँ पार को यह पवा देना मावश्या प्रकार को रमपम अधिकार रेकर दर देश में भी बात में तो उनके पीले वारपार पमान और पर शिखीपा प्रागरे में भी रखते । पिना वादा बिर अनुमति लिए कोई उमप दिलो मा बागरे से बाहर अपने मोती ऐनीमे बा ममता पामिन सि से बादशाह मोनान म रमरगया पाहवा या उनके पतियां पाइसी प्रकार दिन मनावर र प्रान्तों में करवा पा । ममीर मलीना माँ एक मोर प्रमापयासी सिरावासार था, जिसबी बी से बादशाह को गुप्त साम यासम्रो बोते पहनती पी उनमें बीमनात पक्रमवार को पार और सीमां खियों के माष ग्राम का समापन प्रमिस रो गा पा किवा मार में बाती का रास्त में बैठे हुए मत्पर फीर पुगरने लगा कि ऐ नारव ऐ गानणार, हमें भी रार रखना । ऐशुरुमऐ शारेमदा, मे मो दुधरे। भरनो बदी पदी अमलिडाको पूर्ति के लिए पापग्राह ने अपने रनमान में मीना पामारी बुनिपार गती थी। या मेशा बाट दिन र राता था। इसमें सिपा और का वासना निपिरा। मीरप समीपावि भी निभाना-अपना मान भबन पामे माती पोर माली मार में प्ररने प्रार-म पे मार पर गायार सपा यादों के सर परी दी। AE नित्यान मेले में मावा । उनपदायमा मुन्धर प्रसाफ वाnit महिषी उदार पदवी पी। मान-पान बनेर नि पो में लिए बनी हुन म हावामग भी सोपे। गार गार म मुन्दरियो ताजा पाना पा ठमे वा सो पमन्द तेती उमीकोना परना चोर उमीन पर गार पूष भमा मगर मोवा, किरन से सपोरेवार प्रति भी गित मामी