पृष्ठ:आलमगीर.djvu/५९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

४२ मानमगीर को बाष्ठय में मनारिन मा उसको पेटी के रूप मोल रोको की। इसके बाद पापा मुधर एणाप करके भागे पत रेठा, प्रताप बासी भी काया काम होता किया उस मी विची तर पस- ईसर वारणा के रामनागार में पहुंचा। इन मियों में पाव-भी तो पसे अबसरों की बार में ही पी पी और पापणाश्रीका पूर्ति कर मालामाल होपर बाहर निभाती थी। बहुत-सी हरम में सरा के लिए किसी-न-पिती पद पर बहाल करके रमनीपायी ची। इन पाठ दिनों में सहमहल में खूप नाप-स। तिा पद गवा धौर माया के तिला पोई दूसरा पति मीवर नहीं यमे पावा पा। इस प्रपर इस मेले में तीस बार 5 वि पाती थी। भारणार मपपि हर तरा बरी यानयोत से पवा पा, पतन मामलों में मापात गिर गया था। दुनिया के इस सबसे को पापणार की नपतपरस्ती इतनी ८ गई पो किस प्रभर के गये और बदनामी के काम पर रवा पा, बो न केवल उस मदिरा के प्रतिकूल पे, प्रत्युत् अन्त में उतरे सर्वनाश प्रबारय मे । स्पोकि उही नपतपरस्ती और अमीरों की नियों से भमुधिय समय की पाते इवनी प्रसिदो गांधी पदव से भारी मार्ग प्रमीर को सामाप के खम्म के पारगाह के दिन से पर हो गए थे। ११ महान् साम्राज्य पहा म त्महीन राम परिस्थिति का मी पोहा पपन मना प्रापश्यक समझये। पापा समप या मुमतों के देव और मात्र पूर्व मापाक को पहुँच पुत्र या दपा उस प्रवापी साम्राम्मी प्रशोषित पति- पपा गणतरों में फैट वर्षपी और एमए और मविता की