मालमगीर सिर पर पा, और अम्पस बन्दर सेमो दरमुब रापू के पास पा- होना चाँदी भारत की भोर सिंघा पक्षा माता था। इसके सिवाय लिम्बुस्तानी पोर्तुगी बाम बोहर साल मारत मात पेगु, तेना- व्येम, सीमान अपीन, मगासिर, मक्षा प्रादि यमों में बाते थे उनके बदले में चाँदी साना दी ताठे पे और पा सब पही पर रा बता पा । बो सोना नोंदी बापान श्रीसानों से निपावा पा, उषध बहुत-सा भाग ग्च लोगों के द्वारा पण मामीटी और पानी के माग ताना मा मी सोना पोपी मौरपर भारत से बाहर नहीं बाने पावा पा अक्षयच, उन दिनों वाम्बा, जोंग, भायरल, सरपीनी, और हामी प्रादि बदएँ व सोग सीलोन, बापान, मलाप, रजेवर प्रादि से वाते थे। सीताप्लेस से और पानाव फ्रान्त से प्रावी पी । प्रतिवर्ष २. चार पारे दमा देशों से या पार होकर ईयन से पाते थे। उसी मा वि सूखे और वाया मेरे, उमरकर, बल, बुधाय मोर ईपन से पाते थे। औरियों मसमीप से भावी पी, यो से मोर पेर स्पाम पर रक्षती पी। अगर ईपन, मक्षाय, मोगामिक से मावा पा। गैर सीग पा पोरांव, गुलाम हम्त देश से भावे पे । मुरल और पीनीकर्तन चीन से, मोती द्वीकारन और संबा से पाते थे। अपनी इन सब भारत को एक मारी रकम के रूप में कीमत पुपनी पहली पी। परम्पर कीमत परी ने रूप में नहीं दी जाती थी। बो विदेशीमापारीहन बस्तुमा देख-रेशान्वये से सासे पे, सनके पास में ही हार बी माना नपा उठाठे थे। प्रधर बो वादी-साना यहाँ प्राता पापा मरिस ही से वर्षों से पार बाग था। बपि समूपा मारतर्प मुमज समार प्रधीन न पा, पापि उभ सामान-विस्तार, माप, और सैनिक 10 उस समय पृषी मर में सबसे पद पर पी। प्राण परसिक ऐशय की गरिमा में अहम मारवर्ष भरपान सभेत । समूचे PAN
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