पृष्ठ:आलमगीर.djvu/६५

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पालमगीर से प्रपार पन म्पर होता था, पर उस पपस्या पर ही सराब पी। अशाह के पास बस-सेना विकृत्त थी ही नहीं, और समुद्रवये पोर से पा होने और हीरों से भरा हुमा सामाम्म तपा प्ररपित था। मई मी मोरोपवादगार पोद्री मी-सेना लेकर बंगाल को गितम पातानो से फतह वा था, और उस भटूर पन प्र सामी बन समता पा, बिल और पैर की जाने की जानोर मुमयिने भी बद-पदर था । मुगल राजनीति क्षेपपूर्ण और सोसतो पी। सेना प्रयास्पिय और प्रलंगठित भी। बम-सेना ची ही मही। सम्पूर्ण सामग्रम्प में निरन्तर दीनी विद्रोह होते ही रहते २१ दिन और बन्दरगाह हर विदेशियों के लिए इते। ऐसी हालत में पा सम्म सामान बावामा में मठिय देश सती प्रकार विधी मी पोरोपियन राति सारा विपित किया था समता मा बिस प्रधर अमेरिका के नंगे बंगसियों को उमोंने विबित किया था। इसके सिपा मुगल सामान्य दो भारी मुरि दी। एक पाकि मुगल शासन, सैनिक शासन पा | प्रबन्य, दीवानी, पौषपारी एवं सेना गपरया पप एक बगइ थी। रामपानी से मयूर प्रान्तों के सम्म्प शिषिक्ष । समाचार देर से प्रारो-बाते थे। मार्गी अमिषाएँ पी। एक फेन में बैठर शासन नहीं रिमा बासमता या । इस पण पुर प्रान्तों में पे उम्बापाची गादबारे स्वतन्त्र बादशादी बैठे थे। पूरमार, प्रत्यपार से उनोने प्रपिक-पषित पन -संमार लिया था, और अपनी प्रबल सदन सेना बना सी पी। ने अपने प्रान्तोश्रीप्रामदनी की स्वेम्हा से सम। मी Tस विषय में उनसे पूछने वाला म भा। इससे उन कि सुख मद गई थी। दूसरी भुटि पर पीरि मामी गरी मामा और राजनीति