माताप्राम्प मैं मुगल दरमधयबर हाप था। शाहीरम एक ऐसा मोरसपम्पा पारिप बेशुमार उत्तरी-पीपी का प्रम्पेरे में होती राती थी। हम पता पुणे विनमम शादी हम में बादशाहीपी पेरी वर्ष भागीतवी माह ही थी। स्वप बादशाह और दाण उसकी मुद्री में | चारों माइयों के अस्त बार और हरम में घुसे रेठे थे। अमीर उमरा रेरित, इर्मा और देप से मरे अपतर की वार में थे। भीतर भार व अनगिनत परकाय होते गये थे। इस प्रभर पुरे और मामा शपयाँ पदमार और मास विदोष, प्रविधास और पारोका एक पेन्द्र बन रहा था। पापणा पास-सी बाते मालूम थी, पर पाइप मीर नहीं पाता पास उन्ध चिन्ताएँ भोर पेनी बमदिन पदवी ही पाती थी। उसे सबसे मारी र धौरान पारसे सबसे खराब सूपा दिया गया था, और उसके पास सबसे बम सेना थी, पर दाग देर उठसे पौषमा गहता पा! यही परवारिसे मोदी पोरगजेब से मीरममा फे मिलवाने पमा गोकपग पर पाबमएकी पना मिसी, उसने तुरव मारणा के नाम से उसे पार पाने का स्म मेय दिया, तपा मोगहरहा पोरापर यादी में कुशा मेगा। इसमें दरा का पह पापण था तसे पार और राम बदामों में भर दिय बाप । इस परमम्न में बड़ी बेगम पाँमारा प्र भी राप था। उस भाया पोलि वारिपार पर भरिभर गया तो उभारना टिपर साहार नमावा- गाई मारेका हमम्मी पा-मारेप शार मना दिया और सिर उससे शारीर धोबन सले लिए बाएँ। पर अमीर मोरमता देवा विजयपरिहनीविरु भोर वाटु पा, कि उसने एक दो मास में पाया मनी सपी पर रिण और सही से पाप दास्या प्रारम्भ कुमा।
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