पृष्ठ:आलमगीर.djvu/७२

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मामगार 20 पाबदक्षत मेरे रास्ते पासा नहीं हो सका, पा, बिसे मैंने जमीन से उठाहर प्रापमान 4% पगा दिया। मीरे सना मना दिया।' पेगम पुरपार पडी रोती रही। बा पर पानी पायार पाने थी। उसमें से उनका स्सप शरीर एन एन सैस पर मधर पम्प बोवल में समांदरात पड़ती है। वह एक २९१५ कीदहरे दिन भी प्राविम मुनी मी थी, उसने र मापुरी में कुछ ऐनी मिठाम पी उमे देनार मन उम्मत दाबावा था । उमरा प्रायेगसौ पेला पा-सापमानता मोर नमाम उमो गरीर मे दनामी यो । उमड़ा पेत्य मिसास स परिपून था। उसकी जान पोर पाल गहरे यस पे। प्रोसे-पटीती-पदमरी प्रार पीवानी थी। गाउमा सूप गोग, मुन दलललाई लिए, पाट तूप मुन पौर गदन लपी और पतली पी, उसी सपंक्ति पर परितो भो तो भुता के समान उन तो पर मन मूर्षितता पा। पतली अमर उमा गए चोर नितम उस पात में एक मद उत्रम परते थे। म यत्पम्त पुनित प्रपरपा में मा उमधे सुगमा और लापरप प्रभार से सारे मन में गा पाग पठा। उसेन कोष स्याग र धीरे से पापा का गम मुबलवर बोलार, राना पोना बदरा, रामसे या रोगा।' पगम मे पोय पोछ । ररपर दुरी पर गई। उमने बारा मेशे से वायारको देगारा- "नाच मादम रामा " "तो परसा उस्फेसिपे पारसे प्रसना पादिर " " पेमे नही मा-" पारधारी भाव में बिल पर गए। मोने पा-या बेगम, मे मी पापा