पृष्ठ:आलमगीर.djvu/८२

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पिता, पुत्री और पुत्र 10 मुहाने । उमें सो में मनाम विपीलिए बनी मगुमार लव उनके परिये म्पागरी नुरे से हम पैदा कर सको, बरन उस पर मुसीबत के सपाश मे मी नार रखना बस्य है। परन मुरके गिम्दै भाव वासर पे लिए प्राते हैं ar कामो में सिगहियों और वाक भी मर र ला साठे, मोर ऐनी हालत में अपर पो माय बनारस ही नही-वा उद राना मुमकिन ही नहीं। यह बीमारी दूररेणी बात है। तुमने परंगियों को देखामि पर प्रभावी नियत के मोर साफ भादमी है। प्रदरमा और सरना कोनवोबादी महा। इन समाम बाती प्रहावा पागलइरस, बीमपुर की मर बमीन में गुमार श्रीमती पापों की मानें, हिरो में शुमार दशक, और प्राइमिया में बास्त बाम बरने वात। बम, एक बार अगर दम और परवाही प्रमश में बाप- मुगल वक्त बरे पाठास व पार बागी । म और मुमारी मोसाद परत रा-घरतर पर इमरमरगी।" लना पार पाणार इद देर रात गए । पे गोर से सारा पारे । उनार-पदाग देखते रहे। बाग मेगा- 'मरा तो नही कार हा तर सते मार है। मगर पिलान वन पर बामगध सारे सपा गा" "कोन हा रारा मरे रे। "रा प्रमार मेरी भीतर हम नारा, मोग बिर र मग पाणीदा मरते हैं। मोरंगजेष पौर मुग अपने-परने वालों में प्रमौरो नगी में करने और नमसरगमी राम पर भामा। रि दुसूरवारनामों से न समोर र ए म उन गयो पानी राना पाहता, चिरेर पूजी जानते "