बेगम समाये 01 पर विसापपन सारनादी वार को मानना में श्रीठा पा पोर बिसे प्यार से शाही दरम में सामाई करते है। अपपि विधी सिप एक सेनानी थी, पर यानादी का रिसे पर टीट होगमा पा और अपने प्रेरिवारमारे से कम न ममता था। उसो टाटपार भी ग्राहबादविरेसमान पे । धीरे-धीरे सवारी प्रागे पदवी वा पी थी। इसी समय चाममे से एक रिन्यू सरदार पारी मा गई। पारिन् सरदार प्र एका गवा गर तास या सी प्रावी प्रतिम गी। उमप्र उम्मत रामल मुत, मूदों को पालो एंटी हुई रेला, बहीनही काली मि, गटीहा पर, या रेलते ही पनी थी। पामर में मारा और उहाप पाठ सवार, पल विगदी पौर नौम-पार से मोर मुनारिस से रिकी रामे पास मागे उमयों में इसकी दमदी निगसी थी। मोदी बेगम की यानी उसकी रसी, पर रास्ते से एक भोर पर पो से उबर रहा एकमे में सोनम के प्रारममा-और पोदो बेगमसारी उससे निष्ट माई, उसमे कमीन का मार तीन पार निरामय में पुकार सारे शेरपूसा था ने बेगम की सूचना । सामारी मे गत अपनी सारी प्राये पदना दिया और एक मिलादी रेली में रहकर पानी सपा मय सपना--रिगामीबागेसार र उस चैनल पो! गावालात मे RT पाती प्राप्त रतमाम विपा, पान साभादसिया और १ म पौध रोगा। सारी भागे बदी धोरया दिए सरदार मा पानी पीना भाने मागे ना पहा! पाया में बम की पा देरी।
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