पृष्ठ:आलमगीर.djvu/९७

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मालमगीर : पार की नबर से देखता था। यह सोपा परवा या विबेगम से गा कर फेने पर सम्मवर नही पादशाहनबार। कभी-कमी परी मौहाला पाऔर उसकी रियो भी गत होती थी। माँ उता एक उदाहरण रिसा पाता है। याबादी में उसे जानादाप जिवाब दिया था और उस मिर ठसे अक्षम और शाही मपविष रखने का अधिभार दिया था, वथा उसे शादी विपासावापेकी माँति पदको रेकर हजारों पर बना दिया था। एक दिन पा पैगम के महोबाहा पा किसामने से महायतो सिपहसालार माते मिल गए। बादानों पास-पास से गुपये, तो खून सैनिने में मारा होगा | उपर मापदलों में उसके भोरेला वो अपना प्रथम वर कर लिया और मिनाही मोरे याही हुर में पहुंचा। बा मारणार पी एपना मिली, वो उसने इस पर पूछा। माता मे पा-"इए पापिनार, मारा उमप वो बीत पुष । अब तो मवरण असम उरावे t" मा पापणा कसा पावै मासम वोए में भाकर मोमेसानवादा मारेका अनम द्वारा दिया। बानमारा मे गारपदी रे सामने पल रोना रोपा पर उतम कोई फान निकला। फिर मी पापामारी का मित्र पारिपना पा और जो गााया उठ भूमर मूल को अपनी धामों को पूर्ति मापम बनाए हुई थी और वह शारगारी पानगी मामी भारोगा देखयोग हीदिए कि समर वादबारी दोनों वाहने बाने एक पान पर विर। तीन दोस समय शाहगारी की मिष राये। बारादरी समुषी रंगमरमर भी बनी थी। उसनडे और मफेर पापरपमा पा। दीवार्य पर गरिने परपये मदर