पृष्ठ:आलमगीर.djvu/९८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

बममी पारी st पम्पोवारी की मां पाई पर मादम प्रानि मगे थे। पर नर्म ईगनी वासीन बियेपे। उन पर सभी प्रम पपरसर पा, जिसके उपर बरपात पदोबा दना पा, बिहमें मोतियों की मार दी। पलंग पर ममममी गदावोगा और मन लगी थी, बिनपर निशाक्त नमीठ बरदाबी धम होगा पा। साममे सीने से किस पर टेरर और प्रमेष प्रभारी मुगाब सर गार की वस्तुएँ रखी हुई थी। मानद पर प्रसासिए शाहगादी प्रसीटीसी पार मी मार लिए वातारी बारिश का परा पा। ही समय मते हुए पूसा बाबा ने पाकर मेने के प्यार में धीराची पेपर। बेनम ने मानेवर करा-"यासा!बाबमा पसन्द की पीर पंगूरी सरावा." 'मत, एमाला रस शीपनी का मी तो परि मोडर्मा ईरान के कारणाममन्न प्रेमिए-बिसने या प्रेमवी गराष की बौक से बात अमलदार मार दुना विमत में मेगी।" " क्या हमारी उम निराम से सो बिते सात मारे श्रम अंगूर में एवार गहर और मुरली प्रापिपात मिलाकर फार मते है । वम हो उस नियामत को पस के हो एसा मियाँ ।" "इबर फैन , मा नागव राया मैंने भी है, उन्म मुधरिता को मायराव मी नीरवती । मगर र चारमाती बरा उस भारत सारे राम मी दो दिक मिए । सीपी सम्मोर ग र उत्त मसूद ने यह प्रेमही दोश मेवा" साहसदी मे भिमा-"गारेप्रमात ऐज पारणा नहीं है बिसे ममा चाय । बस, हमें उच्छी बाविर चस्म मए।