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बालमलि
मानवर्णन
[ ३३० 1
यौघि टरी नटरी ललना न रखो चित नेकुः रयो लव लोनो
'पालमा छोर छपाकर जोति छपो निधि छीर छपा 'भई छोनो
तेहिं टौर उरोज के नग्रनि लौ परसी जलधार भये ४ग दीनो
'खेलत संभु सुधाकर में पनसी कर डोर लगी जुग मोनो
मान मनी सजनी सिख मानि पनी सिख दैन को मान हटोमुकि
मालम' नैननि रूप को भेष निमेपत जो पिय देखत हैं दुफि,
सन्दन की बिंदुलो पर रंग भरे मुकुता छवि है ललना जुकि
झूमी लता फन ओस लगे राध गौन बंधूफ प्रसून रहै कि
[ ३३२ ] . '
मान कला नयला सुनि कै सहुलासनि, लाल मनायन साये
"आलम' श्राली न माने को पैतिया मन में मनमोहन भाये
रोस भरे जमुवा पट मोलक लालक गालक मध्य समाये
अंजन सो मिति फजाल है जुगखंजन ज्यों जमुना जल नहाय