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कछुयै कहोगे के अयोले ही रहोगे लाल, .
मन के मरोरे कौलो मन ही में मारिये ।
मोह सो चितयो को चित हूँ की चाह के जू, .
, मोहनी चितौनि प्यारे मोतन निवारिये ॥१८७ .
तुम निरमोही. लोग और का मत है,
कहा पती यात को परेनो जियामानिये ।
• भावै- सोई. आये जु यियोगो दुख पावै.जाते,
परयस भये एती मनहि न पानिये ।
अय नैना लागे भागे कैसें छुटियत है जू,
पैड़े के.चलत सोई नीके पहिचानिये ।
नैननि के तारे तुम न्यारे कैसे होहु पीय.
पायन की धूरि हमैं दूरि के न जानिये ॥१॥
बैंठो कान्ह छिनु हतो उनहीं को छोह करि; ' ।
- तनु मनु पनु धनु कीजै . नवछावरी ।
नैननि है जू प्यारे पैंडो फरो पाँउ धारि,
पुतरीन प्यारी लगै पायन की पावरी ।
'आलमर तिरीछे चाहि हँसि का योले लाल,
तादिन ते हो ही छकी छकी डोली यावरी ।
मोहिं गये मोहि निरमोही है न आये यह,
मोहनी फी स्वानि मुसुकानि है चरापरी ॥१८६
१- मोरे - पागे, प्रम.न। २-रेपो दुय । ३-गोपी - जूनी
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