पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/१०२

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माड़ोका युद्ध । ३७ डाटिकै बोल्यो फिरि करियासों ठाकुर खबरदार लैजाय ७२ सोबत मारे देशराज को औ फिरि बच्छराजको जाय।। जागत मारों जो करिया ना तौना कहे उदयसिंहराय ७३ सुनिकै वाते ये ऊदन की करिया बैंचि लीन तलवार । ऐचिकै मारा उदयसिंह को रोका तुरत ढाल पर वार ७४ बचा दुलरुवा द्यावलिवाला आला उदयसिंह सरदार॥ करिया बोला फिरि ऊदन ते ठाकुर बेंदुल के असवार ७५ अवती आवै जो हौदा पर तो यमपुरी देउँ दिखराय ।। सुनिक बातें ये करिया की करिया जौन उदयसिंहराय ७६ ऍड़ा मसका रस-दुल का होदा उपर पहूंचा जाय ॥ बँचि सिरोही को कम्मर ते मारा तुरत बनाफरराय ७७ परी सिरोही गज शुण्डा में खण्डा तुरत भई त्यहिंघाय ॥ खण्डा शुण्डा हाथी दीख्यो करिया गयो सनाकाखाय ७८ कोतल हाथी पचशब्दा था तापर तुरत भयो असवार ।। औ यह बोल्यो किरि हाथी ते हाथी साथी अहिउ हमार ७६ निमक हमारो बहु खायो है बांधे रहे हमारे द्वार । हम जो. वां बघऊदन को हमरे निमक होउ उद्धार ८० कहिक बातें ये हाथी सों गई हाँक कीन ललकार ।। वार तीसरी जो तू आवै ठाकुर बेंदुल के असवार ८१ कुशल न जा तू हौदा ते खुपड़ी टंगै बरगदे डार ।। मुनिकै बातें ये करिया की ठाकुर मोहबे का सरदार ८२ डाटिकै बोला फिरि करिया सों का तू बकै बकै जस बाल ॥ कोल्हू पिरावों में जम्बा को माड़ो खोदि करावों ताल ८३ मूड़ काटिक करिया तेरो मल्हना महल देउँ पहुंचाय।। 1