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पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/१०२

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माड़ोका युद्ध। ९७

डाटिकै बोल्यो फिरि करियासों ठाकुर खबरदार ह्वैजाय ७२
सोबत मारे देशराज को औ फिरि बच्छराजको जाय॥
जागत मारों जो करिया ना तौ ना कहे उदयसिंहराय ७३
सुनिकै बातैं ये ऊदन की करिया खैंचि लीन तलवार॥
ऐंचिकै मारा उदयसिंह को रोंका तुरत ढाल पर वार ७४
बचा दुलरुवा द्यावलिवाला आला उदयसिंह सरदार॥
करिया बोला फिरि ऊदन ते ठाकुर बेंदुल के असवार ७५
अवती आवै जो हौदा पर तो यमपुरी देउँ दिखराय॥
सुनिकै बातैं ये करिया की करिया जौन उदयसिंहराय ७६
एँड़ा मसका रसबेंदुल का हौदा उपर पहूंचा जाय॥
खैंचि सिरोही को कम्मर ते मारा तुरत बनाफरराय ७७
परी सिरोही गज शुण्डा में खण्डा तुरत भई त्यहिंघाय॥
खण्डा शुण्डा हाथी दीख्यो करिया गयो सनाकाखाय ७८
कोतल हाथी पचशब्दा था तापर तुरत भयो असवार॥
औ यह बोल्यो किरि हाथी ते हाथी साथी अहिउ हमार ७९
निमक हमारो बहु खायो है बांधे रहे हमारे द्वार॥
हम जो बांधैं बघऊदन को हमरे निमक होउ उद्धार ८०
कहिकै बातैं ये हाथी सों गई हाँक कीन ललकार॥
बार तीसरी जो तू आवै ठाकुर बेंदुल के असवार ८१
कुशल न जावै तू हौदा ते खुपड़ी टँगै बरगदे डार॥
सुनिकै बातैं ये करिया की ठाकुर मोहबे का सरदार ८२
डाटिकै बोला फिरि करिया सों का तू बकै बकैं जस बाल॥
कोल्हू पिरावों में जम्बा को माड़ो खोदि करावों ताल ८३
मूड़ काटिकै करिया तेरो मल्हना महल देउँ पहुंचाय॥