बाँधिकै मुशकै नृप जम्बाकी कूदन लागि वारिहू भाय ९०
रूपनबारी को बुलवायो ताही समय उदयसिंहराय॥
तुम चलिजाको बबुरीवनका द्यावलि मातै लाउ बुलाय ९१
सुनिकै बातैं ये ऊदन की रूपन तुरत पहूंचा जाय॥
चढ़े पालकी द्यावलि आई जहँपर रहैं बनाफरराय ९२
आगि लगाय दई महलन में करिया पाखदये करवाय॥
लैकै कुंजी खोलि खजाना सो छकड़नमें लीन लदाय ९३
महल लूटिकै महरानिन के बबुरीबनका दीन पठाय॥
तुरतै बांदी को बुलवायो औ यहकह्योउदयसिंहराय ९४
खबरि जनाबो यह कुशलाको तुमको आल्हा रहे बुलाय॥
सुनिकै बातैं बघऊदनकी बाँदी तुरत पहूंचीजाय ९५
खबरि सुनाई सब कुशलाको आई स्वऊ बेगिही धाय॥
रानी बोली तहँ आल्हाते हमरे सुनो बनाफरराय ९६
हाथ औरतनपर छाँड्योना नहिं सब क्षत्रीधर्म्म नशाय॥
सुनिकै बातैं ये कुशला की तुरतै ब्बला उदयसिंहराय ९७
नहीं जनाना म्बर बाना है जो हम डरैं औरतैंमार॥
चीरा कलँगी म्बरे बापके औ दै देव नौलखाहार ९८
डोला बिजैसिनि को मँगवावो हमरे साथ देउकरवाय॥
सुनिकै बातै ये ऊदन की रानी गई सनाकाखाय ९९
कहा न मानैं इन लरिकनका तो को बैठ पूत औ भाय॥
यहै सोचिकै मन अपनेमाँ डोला तुरतदीन मँगवाय १००
चीरा कलँगीको मँगवायो औ दै डर्यो नौलखाहार॥
उदन बरगदा के नीचेगे खुपरी छरी बापकी डार १०१
ऊदन देबा दोऊ मिलिकै कोल्हुन पास पहूंचेजाय॥
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माड़ोका युद्ध। १११
