पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/११६

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माडोका युद्ध । १११ ६३ बाँधिक मुशकै नृप जम्बाकी कूदन लागि वारिहू भाय ६० रूपनबारी को बुलवायो ताही समय उदयसिंहराय ।। तुम चलिजाको बबुरीवनका द्यावलि मातै लाउ बुलाय ६१ सुनिक बातें ये ऊदन की रूपन तुरत पहूंचा जाय ।। चढे पालकी द्यावलि आई जहँपर रहै बनाफरराय ६२ आगि लगाय दई महलन में करिया पाखदये करवाय ।। लैक कुंजी खोलि खजाना सोछकड़नमें लीन लदाय ६३ महल लूटिकै महरानिन के बबुरीबनका दीन पठाय ।। तुरतै बांदी को बुलवायो औ यहकह्योउदयसिंहराय ६४ खबरि जनावो यह कुशलाको तुमको आल्हा रहे बुलाय ॥ मुनिकै वात बघऊदनकी बाँदी तुरत पहूंचीजाय ६५ खबार सुनाई सब कुशलाको आई स्वऊ बेगिही धाय ॥ रानी बोली तहँ भाल्हाते हमरे सुनो बनाफरराय ६६ हाथ औरतनपर छाँड्योना नहिं सब क्षत्रीधर्म नशाय ॥ सुनिकै बातें ये कुशला की तुरतै ब्बला उदयसिंहराय ६७ नहीं जनाना म्बर बाना है जो हम डरें औरतैमार ।। चीरा कलंगी म्बरे बापके औदै देव नौलखाहार ६८ डोला बिजैसिनि को मँगवावो हमरे साथ देउकरवाय ।। सुनिक बातें ये ऊदन की रानी गई सनाकाखाय ६६ - कहा न मानें इन लरिकनका तो को बैठ पूत औ भाय ।। यहै सोचिकै मन अपनेमाँ डोला तुरतदीन मँगवाय १०० चीरा कलँगीको मँगवायो औ दै डरयो नौलखाहार ।। उदन बरगदा के नीचेगे खपरी छरी वापकी डार १०१ ऊदन देवा दोऊ मिलिकै कोल्हुन पास पहूं।जाय ।।