पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/११८

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माडोका युद्ध । ११३ बचन हमारे पर आई है मारें कौन पारपर भाय ११४ आल्हा बोलें तब मलखेते तुम सुनिलेउ हमारी ज्वान ।। खेंचि सिरोही को कम्मरसे तुम यहि मरो बीरमलखान११५ सनिकै बाते ये आल्हाकी मलखे रामचन्द्र को ध्याय ॥ बँचिकै मारा रनि बिजमा को सो तहँ परी पछाराखाय ११६ ऊदन दौरे त्यहि समया में गोदी तुरत लीन बैठाय ।। आँसुन भिजयो रनिविजमाको धीरजदीन लहुखाभाय ११७ यह नहिं जानत हम प्यारी थे तुमका मरे बीर मलखान ।। जेठे भाई मेरे मलखे हैं तिनसों काहकरों मैदान ११८ और जोमारत कोउक्षत्री त्वहिं तो मैं कटा देत करवाय॥ अब बसमेरो कछु प्यारी नहिं हैयहु पितासरिस बड़भाय११६ धर्म पतिव्रत त्वर साँचो है हमरे मोह गयो मनचाय॥ अबकीविल्लुरी फिरिकवमिलिहौ साँचे हाल देउ बतलाय १२० सुनिकै बात ये ऊदन की बिजमा बोली बचन सुनाय ॥ भोग विलासे के कारण से संगिनिभईनिपियातवआय१२१ जेठ हमारे मलखे लागें तिनम्वहिं भुइँमादीनस्ववाय॥ भारे मलखे तहँ तुम जावो जहाँन होय लहुरखाभाय१२२ शापित करिक मलखाने को बिजमा बोली बचन उदार। ॥ बेटी है। हम नरपति की फुलवा होई नाम हमार १२३ घोड़ खरीदन काबुल हो तबहम मिलब तुम्हें सरदार ॥ यह तो देही हिंयनै रहि है नरवर लेब और अवतार १२४ इतना कहिके रानी बिजमा औं मरिगई तड़ाका भाय । लाश उठाई बघऊदन ने भो नर्मदा बहाई जाय १२५ कुच के डंका बाजन लागे घूमन लागे लाल निशान। । 7 7 7 111