बचन हमारे पर आई है मारैं कौन पापपर भाय ११४
आल्हा बोलें तब मलखेते तुम सुनिलेउ हमारी ज्वान॥
खैंचि सिरोही को कम्मरसे तुम यहि मरो बीरमलखान११५
सनिकै बातैं ये आल्हाकी मलखे रामचन्द्र को ध्याय॥
खैंचिकै मारा रनि बिजमा को सो तहँ परी पछाराखाय ११६
ऊदन दौरे त्यहि समया में गोदी तुरत लीन बैठाय॥
आँसुन भिजयो रनिबिजमाको धीरजदीन लहुरवाभाय ११७
यह नहिं जानत हम प्यारी थे तुमका मरैं बीर मलखान॥
जेठे भाई मेरे मलखे हैं तिनसों काहकरों मैदान ११८
और जोमारत कोउक्षत्री त्वहिं तो मैं कटा देत करवाय॥
अब बसमेरो कछु प्यारी नहिं हैयहु पितासरिस बड़भाय ११९
धर्म पतिब्रत त्वर साँचो है हमरे मोह गयो मनछाय॥
अबकीबिछुरी फिरिकबमिलिहौ साँचे हाल देउ बतलाय १२०
सुनिकै बातैं ये ऊदन की बिजमा बोली बचन सुनाय॥
भोग बिलासै के कारण से संगिनिभइँनिपियातवआय१२१
जेठ हमारे मलखे लागैं तिनम्वहिं भुइँमादीनस्ववाय॥
मारे मलखे तहँ तुम जावो जहाँ न होय लहुरवाभाय१२२
शापित करिकै मलखाने को बिजमा बोली बचन उदार॥
बेटी ह्वैवै हम नरपति की फुलवा होई नाम हमार १२३
घोड़ खरीदन काबुल जैहौ तबहम मिलब तुम्हैं सरदार॥
यह तो देही हिंयनै रहि है नरवर लेब और अवतार १२४
इतना कहिकै रानी बिजमा औं मरिगई तड़ाका भाय॥
लाश उठाई बघऊदन ने औ नर्मदा बहाई जाय १२५
कूच के डंका बाजन लागे घूमन लागे लाल निशान॥
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माड़ोका युद्ध। ११३
