पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/१४९

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२८ आल्हखण्ड । १४४ तुम चड़िआवो अब नावन में देखो नाच यहाँ पर आय॥ कह सगाई हम साँची फिरि तुम सो हाल देय बतलाय १६ सुनिक वाते आल्हाठाकुर नावन उपर पहूंचे जाय ।। कियो इशारा अरिनन्दन ने खेवट दीन्यो नाव चलाय २० डाटिके बोल्यो आल्हाठाकुर खेई नाव अवै ना जाय ॥ सुनिकवोल्यो अरिनन्दन फिरि आल्है बार बार समुझाय २१ सोला मिनटन के अर्सा में आवो फेरि यहां पर भाय ।। लहरा नदिया के तानन में वानन सरिस पहूंचें जायँ २२ सो मन भावे महराजन के जे शिरताजन के समुदाय ।। लहरा नदिया के तानन सों वानन सरिस पर दिखराय २३ इतना कहते अरिनन्दन के पहुंची नाव किनारे आय॥ उतरी उतरा भा नावनते आल्हा उतरि परे हर्षाय २४ तम्बूलेंगे अरिनन्दन तब वन्दन कैक शीश नवाय ।। द्यावलि नन्दन तह बैठतमे चन्दन सरिस परें दिखराय २५ कही हकीकति अरिनन्दनतब तुमको कैद कीन हम आय । देखें हम सों बुद्धिमान कोउ मोहवे और परै दिखराय २६ इनना कहिकै अस्निन्दन ने तुरते कूच दीन करवाय ।। चड़िक हाथी आल्हाठाकुर सुन्दरखने पहूंचे जाय २७ गा हरिकारा नैनागढ़ का राजै खबरि सुनाई जाय॥ ऊटन टूढ़े ह्याँ आल्हा को दादा नहीं परें दिखराय २८ आना लेके मलखाने की सोनवाँ पास पहुंचे जाय॥ भेद बतायो सब सोनवाँ ने फौजन फेरि पहूंचे आय २६ घोड़ा लेके घयपारी वनि सुन्दरवने पहुंचे जाय ।। दार पहुंचे अरिनन्दन के ऊदन बेंदुल दीन नचाय ३०