कीन तयारी त्यहि खंदक को जहँपर परा बनाफरराय ६१
अधी रातिके फिरि अमला में बेटी अटी तहाँ पर जाय॥
रेशम रस्सी को लटकायो ओयह बोली बचन सुनाय ६२
बप्पा हमरे बैरी ह्वैगे तुमका खंदक दीन डराय॥
अब चढ़िआवो गहि रस्सीको बालम बार बार बलिजायँ ६३
सुनिकै बातैं गजमोतिनिकी बोला मोहबेका सरदार॥
घटिहा राजाकी बेटी हौ तुम्हरो कौन करै इतबार ६४
किरिया करिकै म्बहिं लै आयो औ खंदक में दियो डराय॥
बातैं सुनिकै मलखाने की बेटी बोली शीश नबाय ६५
मोहिं शपथ है रघुनन्दन की मानो सत्य बचन तुम नाथ॥
क्वारी रहिहौं मैं दुनिया में की फिरि ब्याहहोय तुमसाथ ६६
सुनिकै बातैं गजमोतिनि की मलखे बोले बचन उदार॥
धर्म क्षत्तिरिन को मिटिजावै जो हम बचैं नारि उपकार ६०
चोरी चोरा हम निकरैं ना ओ गजमोतिनि बातबनाय॥
हमको चाहौ जो ठकुराइनि लश्कर खबरिदेउ पहुँचाय ६८
तुमचलिजावोनिजमहलनको बीती अर्द्धरात अब आय॥
इतना सुनिकै बेटी चलिभै महलन सोयगई फिरिजाय ६९
भोर भवरहो मुर्गा बोले फिरिमालिनिको लीनबुलाय॥
लिखिकै चिट्ठी बधऊदन की मालिनि हाथ दीन पकराय ७०
मालिनि बोली गजमोतिनिसों बेटी बार बार बलिजायँ॥
जो सुधिपाई गजराजा कहँ हमरे जाय प्राणपर आय ७१
बेटी बोली तब फुलिया ते मालिनि सत्य देयँ बतलाय॥
पर उपकारी जो मरिजावै पहुँचै रामधाम में जाय ७२
इक दिन मरनो है आखिरको ताको कौन सोच है माय॥
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आल्हखण्ड। १७६
