पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/१८१

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२० आल्हसण्ट । १७५ कीन तयारी त्यहि खंदक को जहँपर परा बनाकरराय ६१ अधी रातिके फिरि अमला में बेटी अटी तहाँ पर जाय ॥ रेशम रस्सी को लटकायो ओयह बोली बचन सुनाय ६२ चप्पा हमरे बैरी देंगे तुमका खंदक दीन डराय॥ अब चढ़िआवो गहि रस्सीको वालम वार वार बलिजाय ३३ सुनिक वात गजमोतिनिकी चोला मोहवेका सरदार॥ घटिहा राजाकी बेटी हो तुम्हरो कौन करे इतवार १ किरिया करिक म्वहिं लै आयो औ खंदक में दियो डराय॥ बातें सुनिक मलखाने की बेटी बोली शीश नवाय ६५ मोहिं शपथ है रघुनन्दन की मानो सत्य वचन तुम नाथ ॥ कारी रहिहों में दुनिया में की फिरि ब्याहहोय तुमसाथ६६ मुनिकै बातें गजमोतिनि की मलखे बोले वचन उदार ॥ ॥ धर्म क्षत्तिरिन को मिटिजावै जो हम व. नारि उपकार ६० चोरी चोरा हम निकरें ना ओ गजमोतिनि वातवनाय॥ हमको चाही जो ठकुराइनि लश्कर खबरिदेउ पहुँचाय ६८ तुमचलिजावोनिजमहलनको बीती अर्द्धशत अब भाय॥ इतना सुनिक बेटी चलिभै महलन सोयगई फिरिजाय ६६ भोर भवरहो पा आया-ह फिरिमालिनिको लीनबुलाय॥ मालिनि हाथ दीन पकराय बेटी बार बार बलिजायें। बेटी बोली तब फुलिया ते मालिनि सत्य देय बतलाय॥ हमरे जाय प्राणपर आय ७१ पर उपकारी जो मरिजावै पहुँच रामधाम में जाय . इक दिन मरनो आखिरको ताको कौन सोच है माय ।। मुगी बात लिखिक चिट्ठी वधऊदन के मालिनि वोली गजमोतिनिस जो सुधिपाई गजराजा कर .