पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/१९६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

मलखानका विवाह । १६१ इतना सुनिके ऊदन देवा जोगा भोगा भये तयार।। मलखे सुलखे ब्रह्मा लाखनि इनहुन बांधिलीन हथियार५७ चन्दनबेटा पृथीराज को जगनिक भैने चंदेलो क्यार ।। मोहनवेटा वीरशाह को बौरीगढ़ को जो सरदार ५८ हाथी सजिगा पचशब्दाफिरि आल्हा तापर भये सवार ।। बारहु ठाकुर अपने अपने सबहिन बाँधिलियेहथियारह कूच करायो जनवासे ते मड़ये तरे पहूंचे जाय। चन्दन चौकी मलखे बैठे पण्डिन साइति दियो बताय ६० घर औ कन्या इकठोरी भे भाँवरिसमय गयो नगच्याय ।। पहिली भाँवरि के परतखन सूरज ठाकुर उठा रिसाय ६१ वार चलाई सो मलखे पर ऊदन लीन्ह्यो वार बचाय ॥ दुसरि भाँवरि के परतैखन कांतामलहू गयो रिसाय ६२ बँचिकै मारा सो मलखेपर रोंका तुरत लहुरवाभाय । तीसरि भाँवरि के परतेखन सवियाँ शूर पहुँचे आय ६३ बड़ी लड़ाई में आँगन में तुरतै वही रकतकी धार ॥ मूड़न केरे मुड़चौरा भे औ रुण्डनके खाग पहार ६४ आधे आँगन भौरी होवें आधे खूब चले तलवार ।। नाई बारी जी लैभागे जूझे बड़े बड़े सरदार ६५ को गति बरणै रजपूतन के भारी हाँक देय ललकार ।। ॥ चले कटारी बंदी वाली आँगन चमकिरही तलवार ६६ चन्दन मोहन लाखनि उदन दोऊ हाथ करें तलवार । को गति बरणै जगनायक कै. भेने नौन चंदेले क्यार ६७ जोगा भोगा सुलखे देवा इनहुन खून मचाई मार ।। इतने क्षत्रिन के मारून में कोउ न खड़ा होय सरदार ६८