इतना सुनिकै ऊदन देबा जोगा भोगा भये तयार॥
मलखे सुलखे ब्रह्मा लाखनि इनहुन बांधिलीन हथियार ५७
चन्दनबेटा पृथीराज को जगनिक भैने चँदेलो क्यार॥
मोहनबेटा वीरशाह को बौरीगढ़ को जो सरदार ५८
हाथी सजिगा पचशब्दाफिरि आल्हा तापर भये सवार॥
बारहु ठाकुर अपने अपने सबहिन बाँधिलियेहथियारह ५९
कूच करायो जनवासे ते मड़ये तरे पहूंचे जाय॥
चन्दन चौकी मलखे बैठे पण्डित साइति दियो बताय ६०
घर औ कन्या इकठौरी भे भाँवरिसमय गयो नगच्याय॥
पहिली भाँवरि के परतैखन सूरज ठाकुर उठा रिसाय ६१
वार चलाई सो मलखे पर ऊदन लीन्ह्यो वार बचाय॥
दूसरि भाँवरि के परतैखन कांतामलहू गयो रिसाय ६२
खैंचिकै मारा सो मलखेपर रोंका तुरत लहुरवाभाय॥
तीसरि भाँवरि के परतैखन सबियाँ शूर पहुँचे आय ६३
बड़ी लड़ाई भै आँगन में तुरतै बही रकतकी धार॥
मूड़न केरे मुड़चौरा भे औ रुण्डनके लाग पहार ६४
आधे आँगन भौंरी होवैं आधे खूब चलै तलवार॥
नाई बारी जी लैभागे जूझे बड़े बड़े सरदार ६५
को गति बरणै रजपूतन कै भारी हाँक देयँ ललकार॥
चलै कटारी बूंदी वाली आँगन चमकिरही तलवार ६६
चन्दन मोहन लाखनि उदन दोऊ हाथ करैं तलवार॥
को गति बरणै जगनायक कै भैने जौन चँदेले क्यार ६७
जोगा भोगा सुलखे देबा इनहुन खून मचाई मार॥
इतने क्षत्रिन के मारून में कोउ न खड़ा होय सरदार ६८
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मलखानका बिवाह। १९१
