साल दुसाला दिह्यो भाट को गल माँ हार दीन पहिराय१६
आगे पठयो चन्द भाट को पाछे हिरसिंह लियो बुलाय॥
चन्द कबीश्वर को बुलवायो तासों कह्योहाल समुझाय १७
बाना बदल्यो पृथुइराज ने मन माँ श्रीगणेशको ध्याय॥
सुमिरि भवानी शिवशङ्कर को औ सुर्य्यन को माथनवाय १८
तीनों चलिभे फिरि दिल्लीसों सीता राम चरण मन लाय॥
आठ रोज को धावा करिकै कनउज धुरादबाइनिआय १९
त्यहीसमइयात्यहि अवसर माँ राजा कन उज का सरदार॥
मन्त्री बैठरहै बायें माँ तासों बोल्यो बचन उदार २०
एक मना सोना को लैकै औ कारीगर लेव बुलाय॥
मूरति रचिकै दरवानी की सो द्वारे पर देव धराय २१
सुनिकै बातैं महराजा की मन्त्री तुरत उठा शिरनाय॥
मुरति पौंरिया की बनवायों औ द्वारे पर दियो रखाय २२
त्यही समइया त्यहि अवसरमाँ पहुँचा चन्दभाट फिरिआय॥
खबरि सुनायो सब दिल्ली की औ चरणनमें शीशनवाय २३
हिरसिंह ठाकुर चन्द कबीश्वर तिनके साथ पिथौराराय॥
तीनों मिलिकै त्यहि पाछे सों औ दरबार पहूंचे आय २४
दीख सिंहासनपर जयचँदको भारी तहां दीख दखार॥
बैठै क्षत्री अरझ्वारा सों एक सों एक शूर सरदार २५
दयर मुकदिमा बहु खूनी हैं बहुतक ठाढ़े तहां वकील॥
कऊ जेहल को पहुँचायेगे काहु कि दीनहथकड़ीढील २६
त्यही समइया त्यहिअवसर माँ आगे चन्दकवीश्वर जाय॥
बहु पद गायो सभा मध्य में आपन दीन्ह्यो नाम बताय २७
कह्यो सँदेशा पृथुइराज ने ओ महराज कनौजीराय॥
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संयोगिनिस्वयम्बर।
