कैसो दिल्ली में गिल्ली सम पिल्ली पूत पिथौराराय॥
लिल्ली घोड़िन के चढ़वैया लड़िहैं कौन तहाँपर भाय ६०
चौंड़ा बोला तहँ मलखे ते चलिये जहाँ चँदेलोराय॥
सुनिकै बातैं ये चौंड़ा की तीनों अटे महल में जाय ६१
देखिकै सूरति मलखाने कै बोला मोहबे का सरदार॥
हाल बतावो सब सिरसा को ओ बिरमा के राजकुमार ६२
हाथ जोरिकै मलखे बोले दादा मोहबे के महराज॥
मनोकामना सब पुरण हैं तुम्हरीकृपा सुफल सबकाज ६३
टीका लाये ये दिल्ली सों में ब्रह्माका करों बिवाह॥
यही कामना यक बाकी है साँची मानु कही नरनाह ६४
पाती दीन्ह्यो मलखाने ने बांचन लाग रजापरिमाल॥
डसे भुवंगम लहरैं आवैं कहरन लाग तुरत नरपाल ६५
हाथ जोरिकै ऊदन बोले दादा मोहबे के महराज॥
टेक न टारैं मलखे दादा तासों करे बनी यहु काज ६६
सुनिकै बातैं ये ऊदन की बोले तुरत रजापरिमाल॥
हाल बतावो सब मल्हनाको वाको बड़ो पियारो बाल ६७
मोहिं बुढ़ापा की लाठी है ब्रह्मा बड़ा पियारा मान॥
नामी राजा दिल्लीवाला ठाकुर समरधनी चौहान ६८
टेक कठिनहै मलखाने कै पूरण यहौ हृदय बिशवाश॥
जियब न देखैं हम काहू कर सबकर होय वहाँपर नाश ६९
पढ़िकै चिट्ठी पृथीराज की हमरे गई करेजे हूक॥
जानि बूझिकै जस मलखे की ऐसी करै कौन नर चूक ७०
सवैया॥
सुनिकै नृपबैन तबै बलऐन म्बले मलखे ललिते अनखाई।