पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/२०८

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ब्रह्माका विवाह । २०३ केसो दिल्ली में गिल्ली सम पिल्ली पूत पिथौराराय ।। लिल्ली घोड़िन के चढ़वैया लड़िहैं कौन तहाँपर भाय ६० चौड़ा बोला तहँ मलखे ते चलिये जहाँ चंदेलोराय ।। सुनिकै बातें ये चौड़ा की तीनों अटे महल में जाय ६१ देखिकै सूरति मलखाने के बोला मोहवे. का सरदार॥ हाल बतावो सब सिरसा को ओ बिरमा के राजकुमार ६२ हाथ जोरिक मलखे बोले दादा मोहबे के महराज ॥ मनोकामना सब पुरण है तुम्हरीकृपा सुफल सबकाज६३ रीका. लाये ये दिल्ली सों में ब्रह्माका करों विवाह ।। यही कामना यक बाकी है साँची मानु कही नरनाह ६४ पाती दीन्यो मलखाने ने बांचन लाग रजापरिमाल । डसे भुवंगम लहर मा कहरन लाग तुरत नरपाल ६५ हाथ जोरिक ऊदन बोले दादा मोहबे के महराज ।। टेक न टार मलखे दादा तासों करे बनी यहु काज ६६ सुनिक बातें ये ऊदन की बोले तुरत रजापरिमाल ।। हाल बतावो सब मल्हनाको वाको बड़ोपियारो बाल ६७ मोहिं बुढ़ापा की लाठी है ब्रह्मा बड़ा पियारा मान । नागी राजा दिल्लीवाला ठाकुर समरधनी चौहान ६८ टेक कठिन है मलखाने के पूरण यही हृदय विश्वाश ।। जियव न देखें हम काहू कर सबकर होय वहाँपर नाश ६६ पदिक चिट्ठी पृथीराज की हमरे गई करेजे हूक ॥ जानि बूझिकै जस मलखे की ऐसी करै कौन नर चूक ७० सवैया।। मुनिके नृपवेन तवे नलऐन बले मलखे ललिते अनखाई।