पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/२१८

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ब्रह्माका विवाह । २१३ नेवता पठवो सब राजन को चहही कुँवाँ बियाह माय २३ पायकै चिट्ठी मलखाने की सोई कीन रजापरिमाल ।। गायकै नेवता परिमालिक का आये सबै तहाँ नरपाल २४ तम्बू गड़िगे महराजन के झण्डा आसमान फहराय।। युनवाँ बोली ह्याँ ऊदन ते तुम सुनिलेउलहुरवाभाय २५ न्याह नगीचे है ब्रह्माका ना मोहने का भयो तयार ।। काह तुम्हारे मनमाँ व्यापी देवर बेदुल के असवार २६ सुनिकै बातें ये भौजी की बोले उदयसिंह सरदार ।। हम नहिं जावै अब मोहवे का भौजी मानों कही हमार २७ सुनिक वाते ये ऊदन की सुनवाँ कहे वचन मुमुकाय ।। दूध पियायो मल्हना रानी सेयो तुम्हें बनाफरराय २८ तुम्है न चहिये अस वघऊदन धोखा देउ समय पर आय ॥ धोखो दीन्हो माहिल मामा मलखे कैद लीन करवाय २६ कुशल आपने सब लड़िकाकी चाहें सदा लहुरवा भाय ।। को जगरक्षक है जननी सम ऊदन काह गये बौराय ३० करो तयारी अब भैया सँग मानो कही बनाफरराय ।। इतना सुनिक ऊदन चलिमे आल्हे खबरिजनायोजाय ३१ बातें सुनिक बघऊदन की आल्हा लश्करलियोसजाय ।। बैठे हाथी आल्हा ठाकुर मनमें सुमिरि शारदामाय ३२ चढ़ा बेदुला की पीठी पर नाहर उदयसिंह सरदार ।। दशहरिपुरवा ते चलिक फिरि पहुंचे मोहबे के दरबार ३३ खातिर कीन्यो परिमालिक ने दोऊ भाय बैठि शिरनाय ।। भई तयारी फिर सिरसा की सबकोउ अटे तहाँपर जाय ३४ गई पालकी तहँ मल्हना की सिरसा भीर भई अधिकाय ।।