पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/२१९

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आल्हखण्ड । २१४ आल्हादीख्योजब माहिल को मनमें गई दया तब आय ३५ फिरि ललकारयो मलखाने को यहुका कीन लहुरवा भाय॥ जल्दी छोरो तुम मामा को हमसोविपतिदीखिनाजाय ३६ - सुनिक बातें ये आल्हा की मलखे तुरने दीन बुड़ाय॥ कुवाँ वियाह्यउ ब्रह्मा ठाकुर पलकीचढ्योगणेशमनाय ३५ भई तयारी फिरि विवाह की सबियाँ क्षत्री भये तयार ॥ हम ना जैबे अब दिल्ली को बोला उरई का सरदार ३८ वातें सुनिक ये माहिल की बोला उदयसिंह त्यहिवार । तुम ना हो जो दिल्ली को तौ को करिहै काम हमार ३६ बॉघि जंजीरन हम लैजैहैं मामा उरई के सरदार। चातें सुनिक ये ऊदन की माहिल तुरत भये तय्यार. हाथी सजिकै आगे चलि मे पाछे चले घोड़ असवार । पैदर सेना त्यहि पाछे सों तो चलिभई पांच हजार ४१ सबै शूर सरदार॥' पाग बैजनी शिरपर बाँधे ऊदन बेंदुलपर असवार १२ कूच कराये सिरसागढ़ सों दिल्लीशहर गये नगच्याय॥ दिल्ली केरे फिरि डाँडेपर तम्बू तुरत दीन गड़वाय १३ लक्षपताका एकमिल हगे नभमाँ गई लालरी छाय॥ लागि कचहरी परिमालिककी शोभा कही बून ना जाय ४१ आल्हा बोले चूड़ामणि सों पंडित साइति देउ बताय॥ लेके पत्रा पंडित बोले मानो कही बाफरराय ४५ भीनलग्न की अब विरिया है ऐपनतारी देव वान मुनिक चूडामणि की मलखे रुपना लीन बुलाय २६ पानवारी बारी लैके दिल्ली तुरत देव पहुंचाय. 5 देव पठाय॥ ।