पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/२६८

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उदयसिंहका विवाह । २६५ भये अयाचक सब याचकगण जयजयकार रहे तहँगाय १३१ कूच के डंका बाजन लागे घूमन लागे लाल निशान॥ बैठे हाथी आल्हा ठाकुर करिकै रामचन्द्रको ध्यान १३४ मलखे सुलखे देवा ब्रह्मा मन्नागूजर भयो तयार ।। औरो राजा न्योते आये तिनहुनबाँधिलीनहथियार१३५ हथी चढैया हाथिन चदिगे बाँके घोड़न मे असवार ॥ कूच कराय दयो मोहवेते चलिभे सबै शूर सरदार १३६ खर खर खर खर के रथ दोरे चह चह धुरी रहीं चिल्लाय॥ चलिमें फौजें दल बादल सों शोभाकही बूत ना जाय १३७ झमझम्झम्झम् झीलमबोलें मर्मर होय गेंड़की दाल ॥ मारु मारु के मौहरि बाजें बाजै हाव हाव करनाल १३८ बाय अँधेरिया गै मारग में बिपिगे अन्धकार सों भान ॥ को गति बरौ शहजाद्यन के एकते एक रूप गुणखान १३६ तेगा लीन्हे बर्दवान के कोता खानी लिहे कटार ।। . यक यक भाला दुइ दुइ बरछी कम्मर परी एक तलवार १४० आठरोज का धावा करिक नरवर पास गये नगच्याय ।। पांचकोस जब नरवर रहिगा मलखे डेरा दीन डराय १४१ ऊंची टिकुरिन तम्बू गड़िगे नीचे लागी खूब बजार ॥ हौदा उतरे तहँ हाथिन के क्षत्रिन छोरिधरा हथियार १४२ नहना तम्बूहै आल्हा का तहना लाग खूब दरवार ।। चूड़ामणि पण्डिन तहँ वैठे साइतिलागे करनविचार १४३ ऐपनवारी की साइति है पण्डित कहा सुनो मलखान ।। मलखे बोले तब रूपना ते हमरे करो वचन परमान १४४ ऐपनवारी लैके नरपति द्वार देउ पहुँचाय ॥ वारी