इतना सुनिके मल्हना बोली ऊदन साँच देयँ बतलाय ११
लाग महीना अब सावन को गावन लगे नारि नर गीत॥
सुधि जब आवै चन्द्रावलि की तबहीं लेय मोह दलजीत १२
कठिन यादवा बौरीगढ़के जिनके लूटि मार का काम॥
बेटी ब्याही तिनके घरमाँ कबहुँन द्यखी आपनोधाम १३
चौथि पठावैं जो बौरीगढ़ तो फिर होय वहाँ पर मार॥
है बहनोई इन्दशाह तव ताके परी बांट है रार १४
गउना रउना सबके आवैं बेटी परी मोरि ससुरार॥
इतना सुनिकै ऊदन बोले माता मानो कही हमार १५
चौथी लैकै बौरी जैबे बहिनी बिदा लेब करवाय॥
अब मैं जावों महराजा ढिग माँगों बिदा बेगिही जाय १६
इतना सुनिकै मल्हना बोली मानो कही बनाफरराय॥
मोहिं पियारी अस बेटी ना जो तुम जाउ लहुरवाभाय १७
कछु तुम कहियो ना राजाते ना बौरी को होउ तयार॥
प्राण पियारे तुम ऊदनहौ साँची मानो कही हमार १८
सुनिकै बातैं ये मल्हना की ऊदन चले जहाँ परिमाल॥
हाथ जोरिकै उदयसिंहने औ राजाते कहा हवाल १९
हम अब जैहैं बौरीगढ़ को बहिनी बिदा करैहैं जाय॥
कहा न मानब हम काहूको राजन हुकुम देउ फरमाय २०
बातैं सुनिकै बघऊदन की तुरतै उठा चँदेलाराय॥
साथै लैकै बघऊदन को फिरि रनिवास पहूँचाआय २१
डादन लाग्यो तहँ मल्हनाको री कस जौंहर दीन लगाय॥
ऊदन जैहैं चलिवौरी को बेटी बिदा करैहैं जाय २२
हवैं लुटेरा बौरी वाले ओ बइलानी बात बनाय॥
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चन्दावलि की चौथि। २८५
