पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/२९

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२४ आल्हखण्ड। सवैया॥ हे मममातु विदेह कुमारि खरारि कि नारि पियारि पिताकी । जेऊ गये शरणागत में सुखि तेऊभये वसुधामें पताकी ।। अन्तसमय स्वइ ऐसे भये जिनकी शरणागत इन्द्रहुताकी। दीन पुकार करै ललिते वलितेऊहौं जाऊं विदेह सुताकी ? सुमिरन ॥ काली ध्यावों कलकत्ते की शारद मइहर की सरनाम ।। विन्ध्यवासिनी के पद ध्यावों ज्वालामुखिको करों प्रणाम ! देवी चण्डिका बकसरवाली तिनके दोऊ चरण मनाय ।। देवी कुसेहिरी औ दुर्गा को ध्यावों वार वार शिस्नाय २ महाकाल शिव उज्जैनी के जिनकाविदितजगतपरताप ॥ तिनके दर्शन के कीन्हे ते छूटत नरन केर सब ताप ३ मैं पद ध्यावों शिवशंकर के काशी विश्वनाथ महराज ।। जिनके दर्शन के कीन्हे ते अवहूं रहत जगत में लान ४ फेरि मनावों रामेश्वर को पशुपतिनाथ क्यारकरिध्यान ॥ वैजनाथ लोधेश्वर गावों पावों वृद्धि और वल ज्ञान ५ छूटि सुमिरनी गै देवन के शाका सुनो शूरमन केर ।। फौजें सजिहें चन्देले की कनउज लेई पिथौरा घेर ६ अय कथाप्रसंग। भयो आगमन जब सुर्यन को पक्षिन कीन बहुत तब शोर ।। मुर्गा बोले सब गाँवन में जंगल नचनलाग तब मोर १ जगानगड़ची फिर कनउजमाँ करिके कृष्णचन्द्र को ध्यान । धरा नगाड़ा फिरि सड़ियापर बाजन लाग घोर घमसान २ शब्द नगाड़ा का सुनतेखन पत्री सबै भये इशियार ।।