सवैया॥
हे मममातु बिदेह कुमारि खरारि कि नारि पियारि पिताकी।
जेऊ गये शरणागत में सुखि तेऊभये वसुधामें पताकी॥
अन्तसमय स्वइ ऐसे भये जिनकी शरणागत इन्द्रहुताकी।
दीन पुकार करै ललिते बलितेऊहौं जाऊं बिदेह सुताकी १
सुमिरन॥
काली ध्यावों कलकत्ते की शारद मइहर की सरनाम॥
बिन्ध्यबासिनी के पद ध्यावों ज्वालामुखिको करों प्रणाम १
देवी चण्डिका बकसरवाली तिनके दोऊ चरण मनाय॥
देबी कुसेहिरी औ दुर्गा को ध्यावों बार बार शिरनाय २
महाकाल शिव उज्जैनी के जिनकाविदितजगतपरताप॥
तिनके दर्शन के कीन्हे ते छूटत नरन केर सब ताप ३
मैं पद ध्यावों शिवशंकर के काशी विश्वनाथ महराज॥
जिनके दर्शन के कीन्हे ते अबहूं रहत जगत में लान ४
फेरि मनावों रामेश्वर को पशुपतिनाथ क्यारकरिध्यान॥
बैजनाथ लोधेश्वर गावों पावों वृद्धि और बल ज्ञान ५
छूटि सुमिरनी गै देवन कै शाका सुनो शूरमन केर॥
फौजैं सजिहैं चन्देले की कनउज लेई पिथौरा घेर ६
अय कथाप्रसंग॥
भयो आगमन जब सुर्यन को पक्षिन कीन बहुत तब शोर॥
मुर्गा बोले सब गाँवन में जंगल नचनलाग तब मोर १
जगानगड़ची फिर कनउजमाँ करिकै कृष्णचन्द्र को ध्यान॥
घरा नगाड़ा फिरि सँड़ियापर बाजन लाग घोर घमसान २
शब्द नगाड़ा का सुनतैखन पत्री सबै भये हुशियार॥