पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/३२२

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इन्दलहरणे । ३१४ लड़िका ऊंदन अब नाही हैं। जो तहँ गरि महें जाय १० पातें सुनिक ये माहिल की आल्हा बोले बचन बनाये ॥ तुम चंलिजावों माहिल मामा तो हम ऊदन देय पाय ११ इतना सुनिक माहिल बोले हम तो करख जाय असनान ॥ करो तयारी ऊदनठाकुर आल्हावचन मानिचरमान १२ आल्हा बोले फिरि देवाते तुमहूं जाउ साथ यहिकाल ।। पै तुम बज्यों बघऊदन को जहपर होय रारिको हाल १३ इतना कहिकै आल्हाठाकुर महलन फेरिगयो अलसाय ।। करे तयारी ऊदन . लागे बाँके घोड़ लीन कसवाय १४ कच्छी मच्छी हरियल मुश्की सुखी सुरंगा रङ्ग विरंग ।। नक्खा गरी पँचकल्यानी सब्जी स्याह एकही रंग १५ चुने सिपाही लिये संग में जिनते हारिगई तलवार । सजा रिसाला घोड़नवाला लग भग जानो एक हजार १६ सजे सिपाही पंद्रासौ लग एकते एक लडैया ज्वान । बाजे डंका अहतंका के घूमन लागे लाल निशान १७ इन्दल आये त्यहि समया में ऊदन पास पहूंचे आय ॥ हमहूं चलिवे श्री गंगा को चाचा लेवो साथ लिवाय १८ इतना सुनिकै ऊदन बोले बेटा मानो कही हमार ।। दादा भौजी जो रोके ना हमरे साथ होउ तय्यार १६ इन्दल चलिमे तब महलनको माता पास पहूंचे जाय ।। हाथ जोरिकै इन्दल बोले मात बार बार शिस्नाय २० हुकुम कराय देउ ददुवा सों आवों चाचा साथ नहाय ।। इतना सुनिकै सुनवाँ बोली बेटै बारखार समुझाय २१ पर्व दशहरा की टरिजावै फिरि तुम आयो गानहाय ।।